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नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन का बड़ा बयान- बंगाली संस्कृति से नहीं जुड़ा है ‘जय श्री राम’ का नारा

नोबल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा आजकल देशभर में जय श्री राम नारे का इस्तेमाल लोगों को पीटने के लिए किया जा रहा है। यह नारा बंगाली संस्कृति का हिस्सा नहीं है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 12:00 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 12:00 PM (IST)
नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन का बड़ा बयान- बंगाली संस्कृति से नहीं जुड़ा है ‘जय श्री राम’ का नारा
नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन का बड़ा बयान- बंगाली संस्कृति से नहीं जुड़ा है ‘जय श्री राम’ का नारा

कोलकाता, एएनआई। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि ‘मां दुर्गा' के जयकारे की तरह ‘जय श्रीराम' का नारा बंगाली संस्कृति से नहीं जुड़ा है और इसका इस्तेमाल ‘‘लोगों को पीटने की बहाने'' के तौर पर किया जाता है। अमर्त्य सेन ने कहा था मुझे लगता है कि इसका बंगाली संस्कृति से कोई संबंध नहीं है। आजकल कोलकाता में राम नवमी अधिक मनाई जाती है। 

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जानकारी हो कि नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन भी पश्चिम बंगाल में जय श्री राम के नारे पर चल रहे विवाद में कूद गए हैं। कोलकाता में अमर्त्य सेन ने कहा है कि इस नारे का इस्तेमाल अब लोगों को पीटने के लिए होता है। अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सेन ने कहा कि उनके विचार जय श्री राम नारे का बंगाल की संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है। 

अमर्त्य सेन ने कहा कि आजकल कोलकाता में रामनवमी ज्यादा मनाया जाता है जो उन्हें पहले देखने को नहीं मिलता था। अमर्त्य सेन ने कहा कि जय श्री राम का नारा अब लोगों को पीटने के लिए बहाने के तौर पर इस्तेमाल होता है।  सेन ने कहा कि ‘मां दुर्गा' बंगालियों के जीवन में सर्वव्याप्त हैं। उन्होंने कहा जय श्री राम नारा बंगाली संस्कृति से नहीं जुड़ा है। 

जानकारी हो कि पश्चिम बंगाल में कुछ महीनों से जय श्री राम का नारा राजनीतिक बहस के दायरे में आ गया है।राज्य में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि भाजपा लोगों का धुव्रीकरण करने और साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाने के लिए इस नारे का इस्तेमाल कर रही है। लोकसभा चुनाव से लेकर हाल तक की भाजपा  की रैलियों सभाओं में जय श्री राम का नारा प्रमुखता से लगाया जाता रहा है।

अमर्त्य सेन के बयान को भुनाने में जुटी बंगाल सरकार

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेेन के जय श्री राम को लेकर दिये गये बयान को राज्य में भाजपा के खिलाफ भुनाने की मुहिम में जुट गई है। इस संबंध में राज्य के शहरी विकास और नगर पालिका मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम ने निर्देश दिया है कि पूरे राज्य में नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन की तस्वीरों के साथ उनके उस बयान को फ्लेक्स पर लगाया जाए जिसमें उन्होंने जय श्री राम की खिलाफत की थी।

अब सरकारी तौर पर अमर्त्य सेन के इस बयान को पोस्टर बनाकर नगर पालिका विभाग की ओर से जगह-जगह लगाया जा रहा है। आखिर लोक लाभ और विकास के लिए चुनी जाने वाली सरकार इस तरह से राजनीतिक बयानबाजी का पोस्टर सरकारी तौर पर क्यों छपवा रही है, इस बारे में किसी भी बड़े अधिकारी अथवा मंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया। अमर्त्य सेन ने कहा था कि यदि कुछ विशेष धर्म के लोग आजाद घूमने-फिरने से डर रहे हैं तो यह गंभीर मामला है। सेन का यह बयान उस घटना के बाद आया था जिसमें दो पक्षों के बीच पार्किंग को लेकर विवाद हो गया था।

 दरअसल, पुरानी दिल्ली में हौज काजी इलाके में मां दुर्गा का मंदिर गिराया गया था। मई में भाटपारा के परगन जिले में हुई एक घटना में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ‘जय श्री राम’के नारे को लेकर गुस्सा जताया था। पिछले कुछ महीनों से तृणमूल कांग्रेस और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच इस नारे को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है।


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