West Bengal Auto : राज्य सरकार ने फिलहाल निजी बसों का किराया बढ़ाने से किया इनकार
बस मालिक संगठन भी अडिग कहा किराया नहीं बढ़ाया जाने तक नहीं चलाएंगे बसें। लोगों को झेलनी पड़ सकती है परेशानी। निजी बस मालिक संगठनों का कहना-2018 के बाद से बसों का किराया नहीं बढ़ाया गया। 50 फीसद यात्रियों के साथ दुगना खर्च। आमदनी ही नहीं होगी तो फायदा क्या?
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : राज्य सरकार ने फिलहाल निजी बसों का किराया बढ़ाने से साफ इन्कार कर दिया है। परिवहन मंत्री फिरहाद हकीम ने सोमवार को निजी बस मालिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में कहा कि वे पहले बसों को सड़कों पर उतारें। उसके बाद किराया बढ़ाने पर विचार किया जाएगा। किराया बढ़ाने पर परामर्श देने के लिए गठित की गई विशेषज्ञ कमेटी ने अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपी है, जिसपर गौर किया जा रहा है।
लोगों को झेलनी पड़ सकती है परेशानी
दूसरी तरफ निजी बस मालिक संगठनों ने भी साफ कह दिया है कि जब तक किराए में वृद्धि नहीं की जाएगी, तब तक उनके लिए बसें चलाना संभव नहीं हो पाएगा। राज्य सरकार व निजी बस मालिक संगठनों में चल रही तनातनी से उन लोगों को इस हफ्ते भी परेशानी झेलनी पड़ सकती है, जिन्हें जरूरी काम से बाहर निकलना पड़ रहा है।
2018 के बाद से किराया नहीं बढ़ाया
निजी बस मालिक संगठनों का कहना है कि 2018 के बाद से बसों का किराया नहीं बढ़ाया गया है जबकि इस दौरान डीजल का मूल्य प्रति लीटर 65 रुपये से बढ़कर 92 रुपये को छू गया है। उन्होंने यह भी कहा कि लोग वर्द्धित किराया देने को राजी हैं, फिर भी सरकार किराया नहीं बढ़ा रही है।
50 फीसद यात्रियों के साथ दुगना खर्च
ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट के महासचिव तपन कुमार बनर्जी ने कहा-'सरकार के मौजूदा निर्देश के मुताबिक 50 फीसद यात्रियों के साथ बसें चलाने में 50 फीसद नहीं बल्कि 100 फीसद ही तेल लगेगा। डीजल का दाम प्रति लीटर 92 रुपये को पार कर गया है।
आमदनी ही नहीं होगी तो फायदा क्या
मौजूदा किराए में हमारे लिए बसें चलाना संभव नहीं है। जब कुछ आमदनी ही नहीं होगी तो बसें चलाकर फायदा ही क्या! मौजूदा किराए में हमें नुकसान ही होने वाला है। हमने राज्य सरकार को हमारे आय-व्यय का पूरा ब्योरा दे दिया है। राज्य सरकार उसपर गौर करे और नया किराया तय करे। आज की बैठक में तृणमूल कांग्रेस विधायक व बस मालिक संगठनों के प्रतिनिधि स्वर्ण कमल साहा भी मौजूद थे।