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West Bengal Assembly Election 2021: चुनावी प्याले में चाय श्रमिक लाएंगे तूफान

आदिवासी विकास परिषद समर्थित श्रमिक संगठन प्राग्रेसिव टी वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष तेज कुमार टोप्पो ने कहा कि चाय श्रमिकों को जमीन का पट्टा दिलाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से पहल करनी चाहिए। इसके अलावा श्रमिकों के मकान को लेकर भी सरकार को सोचना चाहिए।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 10:35 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 09:10 AM (IST)
West Bengal Assembly Election 2021: चुनावी प्याले में चाय श्रमिक लाएंगे तूफान
चाय बागान मजदूरों के बीच प्रचार करते प्रत्याशी और अलीपुरद्वार के सांसद जॉन बारला

अशोक झा, सिलीगुड़ी। बंगाल विधानसभा चुनाव के चौथे चरण से उत्तर बंगाल में चुनाव प्रारंभ हो रहा है। 10 अप्रैल को कुचबिहार और अलीपुरद्वार के 14 विधानसभा, 17 अप्रैल को दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिले के 13 विधानसभा क्षेत्र, 22 अप्रैल को होने वाले उत्तर दिनाजपुर के ऐसे 6 ऐसे विधानसभा क्षेत्र है,इसका सीधा संबंध चाय बागान के श्रमिकों से है। 350 चाय बागान में रहने वाले चार लाख से अधिक चाय श्रमिक तदाता कूचबिहार उत्तर- दक्षिण, मेखलीगंज माथा भंगा, सीतलकुची, दिनहटा , सिंतई, तूफानगंज, नटाबारी , अलीपुरद्वार कालचीनी मदारीहॉट ,फलाकाटा, कुमार ग्राम, जलपाईगुड़ी ,डावग्रामफुलवाड़ी, राजगंज, मैनागुड़ी ,धुपगुरी, नागराकाटा, माल, सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग, कॉलिंगपोंग, कर्सियांग, माटीगड़ा नक्शलवाड़ी, फांसीदेवा, चोपड़ा इस्लामपुर गोलपोखर चाकुलिया हेमताबाद करणदीघी के राजनीतिक प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। यही कारण है कि तराई , डूआस और हिल्स के चाय बागान में सभी पार्टी के प्रत्याशी सांसद और विधायक तक दौड़ लगा रहे हैं।

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आजादी के इतने वर्षों बाद भी आज भी चाय बागान में रहने वाले श्रमिक स्वयं को दोयम दर्जे के बंधुआ मजदूर के रूप में मानते हैं। चाय श्रमिकों का कहना है कि उन्हें आज तक न्यूनतम मजदूरी तक नहीं मिल पाई जबकि वोट बैंक के लिए अब तक की बंगाल की राजनीतिक पार्टियां उनका इस्तेमाल करती रही है। यही कारण है कि पहले कम्युनिस्ट पार्टी की ट्रेड यूनियन सीटू के बैनर तले यह श्रमिक कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे लेकिन सत्ता बदलने के साथ कांग्रेस के इंटक, तृणमूल कांग्रेस के आईएनटीटीयूसी और अब भारतीय चाय मजदूर  संघ के साथ कदम से कदम मिलाने को तैयार है। इसका परिणाम भी 2019 के लोकसभा में देखने को मिला है।लोकसभा चुनाव में यहां तृणमूल का खाता तक नहीं खुल सका था, इसलिए सत्ता की दावेदार के तौर पर उभरी भाजपा ने सत्तारूढ़ पार्टी की इस कमजोर नस पर वार करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।चाय श्रमिकों के साथ सोशल इंजीनियरिंग में भी भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर बंगाल में महारत हासिल कर ली है। 6 अप्रैल को कुचबिहार के बाद 10 अप्रैल यानी शनिवार को सिलीगुड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा होनी है। प्रधानमंत्री चाय श्रमिकों और हिल्स की चिर परिचित समस्या को लेकर क्या बोलते हैं इसकी और सब की नजर लगी रहेगी। यही कारण है कि तृणमूल कांग्रेस और भाजपा इनको अपने पाले में खींचने का हरसंभव प्रयास कर रही हैं।

क्या कहते हैं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता: उत्तर बंगाल के चाय बागानों में भूख से 130 मजदूरों की मौत को अपने चुनाव अभियान में प्रमुख मुद्दा बनाया है। दार्जिलिंग से पार्टी के सांसद राजू बिस्टा कहते हैं कि  चाय मजदूर भाजपा के साथ हैं। ममता बनर्जी सरकार ने इस उद्योग की घोर उपेक्षा की है। बागानों के बंद होने की वजह से मजदूरों की मौत एक बड़ा मुद्दा है। चाय बागान श्रमिकों को भाजपा की सत्ता आते ही मजदूरी दी जाएगी। इस इलाके में राजवंशी, आदिवासी और गोरखा वोटरों की खासी तादाद है। इसलिए भाजपा विरोधी राजनीतिक दलों ने इनको लुभाने की कवायद शुरू कर दी है। चाय बागानों वाले इस इलाके में आदिवासी चाय मजदूर दर्जन भर से ज्यादा सीटों पर किसी का भी खेल बना या बिगाड़ सकते हैं।

राजू बिष्ट का कहना है केंद्र सरकार ने जहां अपने बजट में बागान मजदूरों के लिए एक हजार करोड़ का प्रावधान किया है वहीं ममता बनर्जी भी इलाके में पहुंच कर सरकारी योजना के तहत मजदूरों को पक्के मकानों के कागज बांटना शुरू की है। उन्हें इसके पहले 10 वर्षों तक इन मजदूरों का ध्यान तक नहीं रहा।इलाके में चाय बागान मजदूर और उनकी समस्याओं का मुद्दा तो बरसों से चला आ रहा है। इसके अलावा कामतापुरी औऱ कोच राजवंशी समुदाय की अपनी कई मांगें लंबे अरसे से लंबित हैं। इलाके में कोच राजवंशी और कामतापुरी तबके के वोट निर्णायक हैं।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल में कूचबिहार दौरे के दौरान पूर्व राजा के वंशज अनंत राय से मुलाकात कर उनके साथ जनसभा को भी संबोधित किया है। राजनीतिक हलकों में इस मुलाकात को अहम माना जा रहा है। प्रदेश भाजपा के महासचिव सायंतन बसु दावा करते हैं कि इलाके में 42 से 45 सीटों पर पार्टी की जीत तय है। जबकि इसके ठीक विपरीत मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के नेता बयान बाजी कर रहे हैं।

क्या कहना है ट्रेड यूनियन नेताओं का: तृणमूल कांग्रेस समर्थित श्रमिक संगठन के नेता आलोक चक्रवर्ती एम मोदी को तीन साल पहले किए गए वादों को याद करने के लिए कहा। चाय बागान खोलने का वादा करने के बाद भी केंद्र सरकार की ओर से एक भी बागान नहीं खुलवाया गया। केवल झूठे आश्वासन के अलावा श्रमिकों को कुछ नहीं मिला।

ज्वाइंट फोरम के संयोजक जियाउल आलम ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी को लेकर केंद्र सरकार बहुत कुछ कर सकती है, लेकिन भाजपा की सरकार ने श्रमिकों को धोखा देने के अलावा कुछ नहीं किया है। मोदी सरकार सिर्फ चुनाव से पहले राजनीतिक फायदा लेने के लिए उत्तर बंगाल में आ रही है।

आदिवासी विकास परिषद समर्थित श्रमिक संगठन प्राग्रेसिव टी वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष तेज कुमार टोप्पो ने कहा कि चाय श्रमिकों को जमीन का पट्टा दिलाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से पहल करनी चाहिए। इसके अलावा श्रमिकों के मकान को लेकर भी सरकार को सोचना चाहिए। 

भाजपा समर्थित चाय श्रमिक संगठन भारतीय टी वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष व अलीपुरद्वार के सांसद जॉन बारला ने कहा कि चाय बागान व श्रमिकों को लेकर केंद्र सरकार की ओर से काफी काम किया गया है। आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना का लाभ भी श्रमिकों को मिलेगा। लेकिन इसे राज्य सरकार रोकने का प्रयास कर रही है। चाय बागान श्रमिकों को भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आते ही जमीन भी देगी और पक्के का मकान भी बन जाएगी। भाजपा यू कहती है वह करके रहती है।


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