WB SSC Scam में गिरफ्तार पार्थ चटर्जी जेल में पढ़ रहे हैं पैसा मिट्टी, मिट्टी पैसा, बंगाल के पूर्व मंत्री ने मांगी थी आध्यात्मिक किताबें
WB SSC Scam latest update पैसा असली धन नहीं है। महान संत श्रीरामकृष्ण परमहंसदेव ने मूल रूप से इसे समझने के लिए यह उक्ति कही थी। शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार पार्थ चटर्जी अब जेल में रामकृष्ण परमहंस की इन्हीं वाणियों को पढ़ कर अपना दिन बिता रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : टाका माटी, माटी टाका (पैसा मिट्टी है, मिट्टी पैसा है)। पैसा असली धन नहीं है। महान संत श्रीरामकृष्ण परमहंसदेव ने मूल रूप से इसे समझने के लिए यह उक्ति कही थी। शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी अब जेल में रामकृष्ण परमहंस की इन्हीं वाणियों को पढ़ कर अपना दिन बिता रहे हैं। दरअसल बंगाल के पूर्व दिग्गज मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्थ चटर्जी शायद यह महसूस करते हुए कि सलाखों के पीछे के दिन कुछ समय वाले नहीं हैं और अनिश्चित काल के हो सकते हैं। ऐसे में वे जेल जीवन के साथ खुद को ढालने की कोशिश में जुट चुके हैं।
सलाखों के पीछे के जीवन से अभ्यस्त होने के अपने प्रयास में आध्यात्मिक किताबें पढ़ रहे हैं। इसके लिए उन्होंने जेल अधिकारियों से रामकृष्ण परमहंस देव की वाणियों के संकलन श्रीम कथित श्री रामकृष्ण कथामृत पुस्तक लाने को कहा था। जेल प्रशासन ने उनके अनुरोध की स्वीकृति दे दी। इसके बाद उनकी वकील सुकन्या भट्टाचार्य ने रामकृष्ण परमहंस की इस पुस्तक की एक प्रति पार्थ को सौंप दी है। इसके अलावा उन्होंने महाश्वेता देवी की कुछ पुस्तकों की भी मांग की थी जिसे उन्हें सौंप दिया गया है।
अपने दैनिक अनुभवों को भी लिख रहे हैं :
पार्थ चटर्जी जेल में अपने दैनिक अनुभवों को भी लिख रहे हैं। इसके लिए उनकी वकील ने उन्हें नोट बुक और कलम भी सौंपी है। जिस दिन से उनकी जेल की अवधि शुरू हुई है, तब से चटर्जी ने अपनी बातचीत को न्यूनतम तक सीमित कर दिया है। एक बार उन्हें जेल अधिकारियों को यह कहते हुए सुना गया कि उन्हें यह दिन नहीं देखना पड़ता अगर वह अपनी हाई-प्रोफाइल कार्पोरेट नौकरी को छोडक़र राजनीति में प्रवेश नहीं किया होता। चटर्जी 2001 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले एंड्रयू यूल समूह में महाप्रबंधक के रूप में अपनी नौकरी छोडक़र तृणमूल कांग्रेस के साथ पूर्ण राजनीति में शामिल हो गए थे। उनकी विशेषज्ञता मानव संसाधन विकास थी।