कहीं बीमार न कर दे तालाबों का पानी
पिछले पांच साल से तालाबों के संरक्षण पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके तहत तालाबों की चारों तरफ सुरक्षा दीवारें बनाए जाने के साथ ही उनका सौंदर्यीकरण किया गया है।
कोलकाता, सुनील शर्मा। पर्यावरण को संतुलित रखने में जिस तरह से तालाबों (जलाशय) का महत्वपूर्ण योगदान है, उसी तरह बुनियादी सुविधाओं की पूर्ति में भी इनका उतना ही महत्व है। बढ़ते जल संकट में तो इन तालाबों की अहमियत और भी बढ़ गई है। इसलिए इनके संरक्षण के साथ ही उनमें मौजूद पानी की गुणवत्ता पर भी ध्यान देना जरूरी है। कोलकाता नगर निगम क्षेत्र में अवस्थित तालाबों में रोजाना हजारों लोग स्नान करते हैं।
अत: तालाबों का पानी कितना स्वच्छ और स्वास्थ्यकर है, इसके लिए निगम और राज्य सरकार को तत्पर होने की आवश्यकता है। नील रतन सरकार अस्पताल परिसर स्थित तालाब का पानी भी प्रदूषित है। इसमें गंदगी की भरमार है। जन आंदोलन के बाद तालाबों का भराव रोकने एवं उसके संरक्षण के प्रति निगम की तत्परता दिख रही है। पिछले करीब पांच साल से तालाबों के संरक्षण पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके तहत तालाबों की चारों तरफ सुरक्षा दीवारें बनाए जाने के साथ ही उनका सौंदर्यीकरण किया गया है।
महानगर स्थित मनोहर दास तड़ाक, लालदीघी तालाब सहित कई इसके उदाहरण हैं। इस बारे में पर्यावरणविद् तथा तालाबों के जानकार डा. मोहित कुमार राय का कहना है कि जहां तक संरक्षण का सवाल है, पिछले कुछ वर्षों में सकारात्मक असर दिख रहा है, लेकिन तालाबों के पानी की स्वच्छता को लेकर अब तक निगम या राज्य सरकार की ओर से तत्परता नहीं दिख रही है। इसके साथ ही कोलकाता नगर निगम क्षेत्र के आसपास स्थित तालाबों का अस्तित्व आज भी खतरे में हैं। तालाब पाटने का दौर आज जारी है। इस पर तुरंत अंकुश लगाने की जरूरत है।
डा. मोहित कुमार राय ने तालाबों पर कई पुस्तकें लिखी हैं। उनमें से ‘ओल्ड मिरॉर्स- ट्रेडिशनल पॉन्ड्स ऑफ कोलकाता’ को कोलकाता नगर निगम ने प्रकाशित किया है। इस पुस्तक में 49 ऐतिहासिक धरोहर वाले तालाबों की चर्चा है।
फाइव थाउसेंड मिरॉर्स
वाटर बॉडीज ऑफ कोलकाता’ को जादवपुर विश्वविद्यालय की ओर से प्रकाशित किया गया है। डा. राय की ‘कलिकाता पुकुर कथा’ बांग्ला में प्रकाशित हुई है। डा. मोहित कुमार राय ने अपनी पुस्तकों के माध्यम से जिम्मेवार सरकारी विभागों को तालाब संरक्षण के बारे में जागरूक करने का प्रयास किया है। उनके अनुसार तालाबों के पानी को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए निगम और राज्य सरकार की ओर से खास कदम उठाने चाहिए। तभी जलाशय संरक्षण का प्रयास सफल होगा। राय के अनुसार कोलकाता नगर निगम क्षेत्र में छोटे-बड़े लगभग 5 हजार तालाब हैं।