पीएम मोदी ने कहा- गुरुदेव टैगोर की रचनाएं हमारी चेतना को जागृत करती है
शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली हिस्सा ले रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं। यह कार्यक्रम करीब ढाई घंटे का है। गुरुदेव टैगोर की रचनाएं हमारी चेतना को जागृत करती है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। विश्वभारती विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में पीएम मोदी वर्चुअल माध्यम से हिस्सा ले रहे हैं। बंगाल के बीरभूम जिले के शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय का दीक्षा समारोह शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं। पहले राज्यपाल जगदीप धनखड़ दीक्षा समारोह को संबोधित किये। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' भी समारोह में मौजूद हैं।
विश्वभारती विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर ने जो अद्भुत धरोहर मां भारती को सौंपी है उसका हिस्सा बनना, आप सभी साथियों से जुड़ना मेरे लिए प्रेरक भी है, आनंददायक भी है और एक नई ऊर्जा भरने वाला है। मैं यहां आता तो मुझे और अच्छा लगता लेकिन कोरोना के चलते नहीं आ पाया। आज बहुत ही प्रेरणा का दिन है। आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्म जयंती है। मैं सभी देशवासियों को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। रविंद्र नाथ टैगोर ने भी शिवाजी उत्सव नाम से वीर शिवाजी पर एक कविता लिखी थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने टैगोर के छत्रपति शिवाजी से कनेक्शन को जोड़ा। छत्रपति शिवाजी से प्रेरणा लेते हुए भारत की एकता को मजबूत करने की इन भावनाओं को हमें कभी भूलना नहीं है। देश की एकता की भावना को हमें जीना भी है। इसे कभी भी भूलना नहीं है। इस पर शोध करे और गरीबों के लिए काम करे।
मोदी ने कहा, साथियों गुरुदेव टैगोर के लिए विश्वभारती ज्ञान परोसने वाली संस्था मात्र नहीं है। यह एक प्रयास है। जिसे हम कहते हैं। स्वयं को प्राप्त करना। टैगोर को विश्वभारती से अपेक्षा थी कि यहां जो सीखने आएगा वह पूरी दुनिया को भारत और भारतीय की दृष्टि से देखेगा। त्याग, आनंद व मूल्यों से प्रेरित था। उन्होंने विश्व भारती को सीखने का ऐसा स्थान बनाया जो दुनिया के लिए प्रेरणा हो। गुरुदेव टैगोर की रचनाएं हमारी चेतना को जागृत करती है। टैगोर भारत की विविधता का गुणगान बहुत गौरव से करते थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विश्वभारती से निकले छात्रों से देश को बहुत अपेक्षा है। विश्व भारती विश्वविद्यालय नाम के पीछे बहुत बड़ा मकसद है। विश्वभारती भारत की महान परंपरा का प्रतीक है। टैगोर जी भारतीयता का भाव विकसित करना चाहते थे। मूल बात तो माइंड सेट का है। पॉजेटिव है या निगेटिव है। समस्या का हिस्सा बनना चाहते हैं या समाधान का। यह अपने हाथ में होता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जो दुनिया में आतंक व हिंसा फैला रहे हैं उनमें भी कुछ पढ़े लिखे लोग हैं, दूसरी ओर कुछ ऐसे लोग भी हैं जो कोरोना से मुक्ति दिलाने के लिए पूरी जी जान से जुटे हुए हैं। यह माइंड सेट पर निर्भर करता है। आप समस्या का समाधान करना चाहते हैं या समस्या पैदा करना चाहते हैं। अगर हम सिर्फ अपना ही देखेंगे तो हम हमेशा चारों तरफ मुसीबतें व समस्याएं देखकर आएंगे। इसीलिए स्वार्थ से ऊपर उठकर नेशन फर्स्ट की भावना से ऊपर उठें तो आपको हर समस्या का समाधान मिल जाएगा। अगर आपकी नियत साफ है और निष्ठा मां भारती के प्रति है तो आपका हर आचरण आपकी हर कीर्ति किसी न किसी समस्या के समाधान की तरफ बढ़ेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपको कोई भी फैसला लेने से नहीं डरना चाहिए। एक मनुष्य के रूप में यदि हमें फैसला लेने से डर लगने लगे तो यह मनुष्य के लिए सबसे बड़ा संकट है। जब तक भारत के युवाओं में आगे बढ़ने व कुछ रिस्क लेने का जज्बा रहेगा तब तक उसे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। विश्वभारती के 100 वर्ष के ऐतिहासिक अवसर जब मैंने बात की थी तो भारत के आत्मसम्मान व आत्मनिर्भर के लिए आप सभी युवाओं का उल्लेख किया। हमेशा सिर्फ अपना हित नहीं देखना चाहिए। फैसला लेने की ताकत गई तो समझो जीवन गई। आपको कोई भी फैसला लेने से डरना नहीं चाहिए। नियत साफ है तो समाधान जरूर मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नेशन फर्स्ट की सोच से आगे बढ़े। भारत पर अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था थोपे जाने से पहले थामस मूलर ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था की ताकत को अनुभव किया था, देखा था। उन्होंने देखा था कि हमारी शिक्षा व्यवस्था कितनी वाइब्रेंट है। अंग्रेजों के शिक्षा काल में हम कहां से कहां पहुंच गए क्या से क्या हो गए।आज भारत में जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है वह पुरानी बेड़ियों को तोड़ने के साथ ही विद्यार्थियों को अपने सामर्थ्य दिखाने की पूरी आजादी देगी। यह शिक्षा नीति आपको अपनी भाषा में पढ़ने का विकल्प देती है, नई शिक्षा नीति रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देती है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मदद करेगी नई शिक्षा नीति। शिक्षा नीति बनाते समय ड्रॉपआउट रेट ज्यादा होने के कारणों पर विचार किया गया है। बंगाल ने अतीत में भारत के समृद्ध ज्ञान विज्ञान को आगे बढ़ाने में देश को नेतृत्व दिया। बहुत ही गौरवपूर्ण बात है, भारत आज जब 21वीं सदी की नॉलेज इकोनॉमी बनने की ओर आगे बढ़ रहा है तो देश के युवाओं पर इसकी बड़ी जिम्मेदारी है।
बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 22 फरवरी को बंगाल आ रहे हैं। इस दौरान जहां वह एक ओर नोआपाड़ा से दक्षिणेश्वर रेलवे स्टेशन तक मेट्रो सेवा का शुभारंभ करेंगे,वहीं दूसरी ओर हुगली जिले में चुनावी सभा को भी संबोधित करेंगे। इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दो दिवसीय बंगाल दौरे पर हैं।