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1971 के युद्ध में भारत की विजय के 50 साल पूरे होने पर प्रज्‍ज्वलित ‘स्वर्णिम विजय मशाल’ पहुंची कोलकाता

पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में भारत की विजय के 50 साल पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पिछले साल नई दिल्ली में प्रज्वलित की गई ‘स्वर्णिम विजय मशाल’ का कोलकाता पहुंचने पर शुक्रवार को रंगारंग कार्यक्रम में स्वागत किया गया।

By Vijay KumarEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 09:09 PM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 11:32 PM (IST)
1971 के युद्ध में भारत की विजय के 50 साल पूरे होने पर प्रज्‍ज्वलित ‘स्वर्णिम विजय मशाल’ पहुंची कोलकाता
पाकिस्तान पर भारत की जीत की प्रतीक ‘स्वर्णिम विजय मशाल

राज्य ब्यूरो, कोलकाताः पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में भारत की विजय के 50 साल पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पिछले साल नई दिल्ली में प्रज्वलित की गई ‘स्वर्णिम विजय मशाल’ का कोलकाता पहुंचने पर शुक्रवार को रंगारंग कार्यक्रम में स्वागत किया गया। इको पार्क में आयोजित कार्यक्रम में बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम पेश किए, सेना के बैंड ने अपनी प्रस्तुति दी और ‘1971 मुक्ति संग्राम’ नाम की फिल्म भी दिखाई गई।

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थलसेना, नौसेना और वायुसेना के तमाम अफसरों के साथ-साथ वायुसेना के पूर्व प्रमुख अरूप राहा सहित कई पूर्व सैन्य अधिकारी भी कार्यक्रम में शामिल हुए। रक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि विजय मशाल चार दिसंबर तक कोलकाता में रहेगी। पूर्व वायु सेना प्रमुख राहा ने कहा कि यह मशाल बलिदान का प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि हमें बांग्लादेश मुक्ति योद्धाओं और भारतीय सैनिकों के बलिदान को याद रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उनकी वीरता से अवगत कराने की आवश्यकता है, जिसके कारण एक नए राष्ट्र - बांग्लादेश का जन्म हुआ।

रक्षा अधिकारी ने बताया कि ‘विजय मशाल’ को 1971 मुक्ति संग्राम के नायकों,वीरता पुरस्कार से सम्मानित सैनिकों के घर ले जाया जाएगा। युद्ध में अपने शौर्य के लिए ‘वीर चक्र’ से सम्मानित कर्नल (अवकाश प्राप्त) शील कुमार पुरी ने कहा कि वह जिस युद्ध का हिस्सा रहे, उसकी स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल होने को लेकर बहुत उत्साहित हैं। नई दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में जलने वाली अखंड ज्योति से चार विजय मशालों को प्रज्वलित करके उन्हें देश भर के शहरों और गांवों में घुमाया जा रहा है। विजय मशालों को देश की चारों दिशाओं में भेजा गया है और वे दिसंबर 2021 तक नई दिल्ली लौट आएंगी।


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