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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट- बंगाल में कम हुए बाल विवाह के मामले

सकारात्मक आंकड़े नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में सामने आया तथ्य 2019 में बंगाल में बाल विवाह 12000 मामले 2013 में दर्ज हुए थे 27088 मामले कुछ साल पहले तक बंगाल में 15 से 19 साल की उम्र की लड़कियों के विवाह के मामले तेजी से बढ़ रहे थे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 02:14 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 02:14 PM (IST)
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट-  बंगाल में कम हुए बाल विवाह के मामले
बंगाल में कम हुए बाल विवाह के मामले

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में बाल विवाह के मामले उल्लेखनीय रूप से कम हुए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में यह सकारात्मक तथ्य सामने आया है। गौरतलब है कि कुछ साल पहले तक बंगाल में 15 से 19 साल की उम्र की लड़कियों के विवाह के मामले तेजी से बढ़ रहे थे। इसके कारण बहुत कम उम्र में लड़कियों के मां बनने के मामले भी बढ़ रहे थे। इसे लेकर केंद्र व राज्य सरकार, दोनों काफी चिंतित थी।

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नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की हालिया रिपोर्ट ने राहत दी है। रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में बंगाल में बाल विवाह के मामले में काफी गिरावट हुई है। 15 से 19 साल की उम्र की लड़कियों की शादी के 12,000 मामले सामने आए और चालू वर्ष के अगस्त महीने तक यह आंकड़ा महज 3,000 के आसपास है जबकि 2013 में 15 वर्ष की लड़कियों के विवाह के मामले बंगाल में 27,088 दर्ज हुए थे, जो उस साल सूबे में हुई महिलाओं के कुल विवाह का 54.7 फीसद था।

बंगाल उस समय नाबालिगों के विवाह के मामले में देश में अव्वल स्थान पर था। अब बंगाल इस मामले में बिहार, झारखंड व राजस्थान जैसे राज्यों से नीचे आ गया है।बंगाल की स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य इसका श्रेय ममता सरकार की कन्याश्री, रूपश्री और सबूज साथी प्रकल्पों को देती हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रकल्पों से नाबालिगों का विवाह रोकने में काफी मदद मिली है। स्कूलों में ड्रॉपआउट घट गया।

बंगाल में बाल विवाह के मामले उल्लेखनीय रूप से कम हुए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में यह सकारात्मक तथ्य सामने आया है।  लड़कियां अब ज्यादा संख्या में पढ़-लिख रही हैं। कम उम्र में लड़कियों की शादी रुकने के कारण मातृत्व के समय उनकी मृत्यु दर भी घटी है। गौरतलब है कि बाल विवाह में गुजरात, झारखंड और बिहार की स्थिति इस समय बेहद चिंताजनक है। यहां तक कि दिल्ली व मुंबई जैसे महानगरों में भी बाल विवाह के मामले बंगाल की तुलना में अधिक हैं। 


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