कोलकाता में कोरोना के डर से बस का टिकट लेने से कतरा रहे यात्री, बस मालिक नुकसान में
कोरोना के डर से कोलकाता में लोग बस का टिकट लेने से कतरा रहे हैं जिससे बस मालिकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। टिकटों की बिक्री का सटीक हिसाब नहीं मिल पा रहा है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कोरोना के डर से कोलकाता में लोग बस का टिकट लेने से कतरा रहे हैं, जिससे बस मालिकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। टिकटों की बिक्री का सटीक हिसाब नहीं मिल पा रहा है। यात्रियों के टिकट नहीं लेने से बस चालकों और कंडक्टरों के एक वर्ग की चांदी हो रही है। बस मालिकों को बाध्य होकर बसों के अंदर यह सूचना चस्पानी पड़ी है कि कागज के टिकट से कोरोना नहीं फैलता। फिर भी यात्रियों को अगर टिकट लेने में किसी तरह की आशंका है तो कंडक्टर से सैनिटाइज कराकर उसे ले सकते हैं। कंडक्टरों को सैनिटाइजर दिया गया है। कोलकाता में कई रूटों की बसों में यह सूचना चस्पाई गई है।
दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे दाम
बस मालिकों का कहना है कि वे कोरोना के समय बहुत मुश्किल से सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। डीजल के दाम दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। राज्य सरकार से बार-बार अनुरोध करने पर भी किराया बढ़ाया नहीं गया है। यात्री अगर बस में चढ़ने के बाद टिकट नहीं लेंगे तो दिन की सर्विस की समाप्ति पर उन्हें मालूम नहीं हो पाएगा कि कितने टिकटों की बिक्री हुई है।
छह फीसद कमीशन मिलता है
गौरतलब है कि बस चालकों व कंडक्टरों की दैनिक मजदूरी टिकटों की बिक्री पर ही निर्भर करती है। बस चालक को 12 फीसद और कंडक्टर को छह फीसद कमीशन मिलता है, हालांकि अभी जो आलम है, उसमें बस चालकों व कंडक्टरों का एक वर्ग कमीशन से ज्यादा यात्रियों के टिकट नहीं लेने से कमाई कर रहा है।
टिकट ले मुसीबत कौन मोल ले ?
गौरतलब है कि इस समय कोलकाता की सड़कों पर बहुत कम बसें चल रही हैं इसलिए एक बस पूरे दिन में ज्यादा से ज्यादा दो से तीन ट्रिप ही कर रही है। एक यात्री ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया कि वह बस पर चढ़ने पर किराया तो पूरा दे रहे हैं लेकिन कोरोना के डर से टिकट नहीं ले रहे हैं। पिछले एक महीने से यह सिलसिला जारी है। टिकट लेकर मुसीबत कौन मोल ले।