Bengal Assembly Elections: हिंदू विरोधी पार्टी की छवि मिटाने की कोशिश में जुटी है तृणमूल कांग्रेस
Bengal Assembly Elections बंगाल में भाजपा के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए ममता बनर्जी की तृणमूल ले रही ‘नरम हिंदुत्व’ का सहारा! हिंदू विरोधी पार्टी की छवि मिटाने की कोशिश में जुटी है तृणमूल कांग्रेस। रणनीति बदलने को मजबूर तृणमूल कांग्रेस।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ‘नरम हिंदुत्व’ का सहारा ले रही है। वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले हिंदू पुजारियों को भत्ता देने की तृणमूल सरकार की योजना, तुष्टीकरण के आरोपों की काट और भाजपा को मात देने की सोची-समझी रणनीति प्रतीत होती है।
राजनीति पर निगाह रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस ‘हिंदू विरोधी’ छवि को त्यागकर ‘नरम हिंदुत्व’ को अपनाना चाहती है और इसके लिए वह सावधानीपूर्वक कदम उठा रही है। पार्टी ने प्रशांत किशोर और उनकी टीम को अपना चुनावी रणनीतिकार बनाया है।
ब्राह्मण सम्मेलन कराने और दुर्गा पूजा समितियों को आर्थिक सहायता देने जैसे निर्णय भी लिये
इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस ने ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित कराने और दुर्गा पूजा समितियों को आर्थिक सहायता देने जैसे निर्णय भी लिये हैं। हालांकि, ममता बनर्जी नीत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का दावा है कि ‘समावेशी’ राजनीति के तहत आठ हजार सनातन ब्राह्मण पुजारियों को आर्थिक सहायता और मुफ्त आवास उपलब्ध कराया गया है, वहीं, विपक्षी दल भाजपा ने इसे उसके हिंदू वोट बैंक में सेंध लगाने का प्रयास करार दिया है।
हम सांप्रदायिक राजनीति में विश्वास नहीं रखते : सांसद सौगत रॉय
तृणमूल के वरिष्ठ नेता और सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘हम सांप्रदायिक राजनीति में विश्वास नहीं रखते, जैसा कि भाजपा करती है। हमारा लक्ष्य पीड़ित व्यक्तियों और समुदायों की सहायता करना है। पार्टी का कोई धार्मिक एजेंडा नहीं है।’ हालांकि, श्री रॉय यह समझाने में असफल रहे कि हिंदू पुजारियों को वित्तीय सहायता देने में आठ साल का समय क्यों लगा, जबकि इमाम और मुअज्जिनों को इस प्रकार की सहायता का लाभ पिछले आठ साल से मिल रहा है।
नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘भाजपा हमें हिंदू विरोधी कहकर प्रचारित करती रही है। उनके सदस्य खुद को हिंदुत्व के सबसे बड़े ठेकेदार बताते हैं। इसलिए हमने समावेशी विकास के संदेश के साथ जनता के बीच, विशेषकर हिंदू समुदाय तक अपनी पहुंच बढ़ाने का निर्णय लिया।’
रणनीति बदलने को मजबूर तृणमूल कांग्रेस
एक सूत्र ने कहा, ‘आइ-पैक (प्रशांत किशोर का संगठन) ने बंगाल की स्थिति की समीक्षा की है और हमारी रणनीति पुनः बनाने के लिए सुझाव दिये हैं। हमारी संशोधित योजना के तहत ब्राह्मणों तक पहुंच बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।’
राजनीतिक विशेषज्ञों का दावा है कि वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव के नतीजे और भाजपा द्वारा लगातार किये जा रहे हमलों के कारण तृणमूल को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर होना पड़ा। राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा कि तृणमूल का ‘नरम हिंदुत्व’ का एजेंडा उन हिंदू मतों को वापस पाने का प्रयास है, जो अब भाजपा के पाले में चले गये हैं।
श्री चक्रवर्ती ने कहा, ‘केवल समय ही बता सकता है कि पार्टी को इस नरम हिंदुत्व से लाभ होगा या नहीं। तृणमूल, हिंदू मतों का विभाजन करते हुए अल्पसंख्यक मतों को छोड़ना नहीं चाहती। यदि वह भाजपा के हिंदू मतों का विभाजन सफलतापूर्वक कर लेती है, तो पार्टी फायदे में रहेगी।’