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बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के फैसले पर तृणमूल और कांग्रेस ने की केंद्र की आलोचना, भाजपा ने किया फैसले का बचाव

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के फैसले पर केंद्र की आलोचना करते हुए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने गुरुवार को कहा कि यह राज्य के अधिकारों का ‘अतिक्रमण’ और देश के संघीय ढांचे पर हमला है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 06:33 PM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 06:33 PM (IST)
तृणमूल और कांग्रेस ने की केंद्र की आलोचना, भाजपा ने किया फैसले का बचाव

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के फैसले पर केंद्र की आलोचना करते हुए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने गुरुवार को कहा कि यह राज्य के अधिकारों का ‘अतिक्रमण’ और देश के संघीय ढांचे पर हमला है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बीएसएफ कानून में संशोधन कर इसे पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से मौजूदा 15 किलोमीटर की जगह 50 किलोमीटर के बड़े क्षेत्र में तलाशी लेने, जब्ती करने और गिरफ्तार करने की शक्ति दे दी है।

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तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र से इसे वापस लेने की मांग करते हुए दावा किया कि बंगाल सरकार के साथ विचार-विमर्श किए बगैर यह फैसला किया गया है। तृणमूल के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, हम इस फैसले का विरोध करते हैं, यह राज्य के अधिकारों में अतिक्रमण है। राज्य सरकार को सूचित किए बिना बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में विस्तार करने की तुरंत क्या जरूरत पड़ी। यदि बीएसएफ को कहीं पर तलाशी लेनी है तो वह राज्य पुलिस के साथ मिलकर ऐसा हमेशा ही कर सकता है। वर्षों से यही चलता आ रहा है। यह संघीय ढांचे पर हमला है।

वहीं, तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सौगत राय ने आरोप लगाया कि सीमावर्ती गांवों में मानवाधिकारों को लेकर बीएसएफ का ट्रैक रिकार्ड अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा, केंद्र और गृह मंत्री अमित शाह राज्यों को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं।

दूसरी ओर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व सांसद अधीर चौधरी ने आगाह किया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस कदम के ‘दुष्परिणामों’ का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा, कुछ राज्यों में सीमा से 50 किलोमीटर तक बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में विस्तार करना राज्यों के क्षेत्र में खुलेआम उल्लंघन करना है। गृह मंत्रालय आपको कोई छेड़खानी नहीं करना चाहिए अन्यथा दुष्परिणामों का सामना करना पड़ेगा।

इधर, प्रदेश भाजपा महासचिव सायंतन बसु ने केंद्र के इस फैसले का बचाव करते हुए आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार सीमा पार से घुसपैठ और तस्करी को रोकने में विफल रही है। तृणमूल कांग्रेस इस कदम का विरोध वोट बैंक के तुष्टिकरण के लिए कर रही है। बता दें कि केंद्र ने पाकिस्तान की सीमा से लगे गुजरात के क्षेत्रों में यह दायरा 80 किलोमीटर से घटा कर 50 किलोमीटर कर दिया है। राजस्थान में 50 किलोमीटर तक की क्षेत्र सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है।केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में 11 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की।


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