खाद्यान्न उत्पादकता बढ़ाने में अनुसंधान विद्वानों की मदद लेगी बंगाल सरकार
बंगाल सरकार ने चावल और अन्य खाद्यान्नों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए राज्य के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के अनुसंधान विद्वानों की मदद लेने का निर्णय लिया है।
कोलकाता, जेएनएन। राज्य के विभिन्न हिस्सों में खाद्यान्नों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने अनुसंधान कर रहे विद्वानों की मदद लेने का निर्णय लिया है। बुधवार को राज्य कृषि विभाग की ओर से इस बारे में जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि बंगाल सरकार ने चावल और अन्य खाद्यान्नों की उत्पादकता बढ़ाने में मदद करने के लिए राज्य के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के अनुसंधान विद्वानों की भूमिका सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए राज्य कृषि विभाग के अनुसंधान विंग ने राज्य के स्वामित्व वाले कृषि विश्वविद्यालयों - विधान चंद्र कृषि विश्व विद्यालय और उत्तर बंग कृषि विश्व विद्यालय के साथ समझौता किया है।
कृषि विभाग और विश्वविद्यालय के अनुसंधान विद्वान लिंकर खाद्यान्नों की उत्पादकता बढ़ाने हेतु साझा अनुसंधान करेंगे। सहयोग के हिस्से के रूप में, विभाग के अधिकारी भविष्य के कदमों को निर्धारित करने के लिए नियमित अंतराल पर शोधकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। इसमें जिन चीजों की भी जरूरत पर चर्चा होगी उसकी पूर्ति राज्य सरकार तत्काल करेगी। कृषि विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए एक रोड मैप भी तैयार कर रहा है ताकि बैठक से सुझाए गए चरणों का पालन किया जाए। कृषि विभाग की ओर से बताया गया है कि इस पहल का एक मुख्य उद्देश्य किसानों को और अधिक वैज्ञानिक तरीके से बीज बोने के लिए विशेषज्ञता प्रदान करना है।
कृषि विभाग के अनुसार, किसानों के लिए उन्नत और मजबूत किस्मों के बीज तैयार किया जा सके। इसके पूर्व तुलाइपंजी, गोबिंदभोग और कलौनी की तरह दुर्लभ किस्मों की खेती के लिए विभिन्न योजनाओं की शुरुआत के कारण पिछले कुछ वर्षों में समग्र धान की खेती में वृद्धि हुई है। बड़े क्षेत्रों में किसान अब वैज्ञानिक तरीके से इस धान की खेती करते हैं जिसकी मांग ना केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में है। राज्य सरकार ने कृषि के विभिन्न पहलुओं, जैसे मिट्टी परीक्षण और अन्य चीजों को रोजगारोन्मुखी कौशल विकास कार्यक्रमों के विकल्पों को व्यापक बनाने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी शुरू किए हैं। कृषि विभाग की ओर से दावा किया गया है कि इन सबके परिणामस्वरूप, वित्तीय वर्ष 2010-11 की तुलना में, किसानों की आय में तीन गुना वृद्धि हुई है। राज्य ने लगातार पांच वर्षों तक राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार, कृषि विभाग को मिला है जो उत्कृष्ट कार्य का द्योतक है।