कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिनका सफरनामा उनकी मौत के साथ खत्म हो जाता है...
कुछ ऐसे भी लापरवाह व दुर्भाग्यशाली लोग होते हैं जिनका सफरनामा उनकी मौत के साथ खत्म हो जाता है। वे जिंदगी के बीच सफर में ही बच्चे को अनाथ व पत्नी को विधवा बनाकर चले जाते हैं।
हावड़ा, ओमप्रकाश सिंह। लोगों की सारी जिंदगी परिवार के सदस्यों के पालन पोषण में गुजर जाती है। उनकी पूरी जिंदगी घर से लेकर कार्यालय के बीच नप जाती है। उनका सफर परिवार की देखरेख से लेकर उन्हें बड़े होने तक चलता रहता है लेकिन कुछ ऐसे भी लापरवाह व दुर्भाग्यशाली लोग होते हैं जिनका सफरनामा उनकी मौत के साथ खत्म हो जाता है। वे जिंदगी के बीच सफर में ही बच्चे को अनाथ व पत्नी को विधवा बनाकर चले जाते हैं।
कोलकाता के उपनगरीय क्षेत्रों और विभिन्न जिलों से प्रति दिन लाखों की संख्या में लोग काम करने और व्यवसाय करने के लिए कोलकाता आते हैं। उम्र के अनुरूप वे काम में एक सीमित समय तक जुड़े रहते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी लापरवाह लोग होते हैं, जिनकी जिंदगी हादसे में चली जाती है।
रेलवे सुरक्षा बल और रेलवे राजकीय पुलिस द्वारा लगातार जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद काफी ऐसे लापरवाह यात्री हैं, जो नित्य जिंदगी को जोखिम में डालकर ट्रेन के गेट पर खड़ा होकर अथवा ट्रेन के दरवाजे से झूलकर यात्रा करते दिख रहें हैं। ट्रेन से गिरकर होनी वाली मौत के बावजूद भी दूसरा यात्री सबक लेने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि प्रति माह 9 से 12 लोगों की मौत ट्रेन से गिरकर हो रही है। हावड़ा रेलवे राजकीय पुलिस अधीक्षक के कार्यालय के सूत्रों के अनुसार वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2018 नवंबर महीने तक ट्रेन से गिरकर मरने वालों की संख्या 645 है।
यानी 2014 में 117 यात्रियों की, वर्ष 2015 में 133 यात्रियों की, वर्ष 2016 में 160 यात्रियों की, वर्ष 2017 में 128 यात्रियों और वर्ष 2018 के 11 महीने में 107 यात्रियों की ट्रेन से गिरकर मौत हो चुकी है। रेलवे सुरक्षा बल व जीआरपी द्वारा संयुक्त रूप से माइक से जागरूक अभियान चलाने का भी असर ऐसे लापरवाह यात्रियों पर पड़ता नहीं दिख रहा है। जबकि इससे चौकाने वाला आंकड़ा यह है कि ट्रेन से कटकर मरने वालों की संख्या 1632 है।
यानी ये भी कहीं ना कहीं घर जाने की जल्दबाजी में रेलवे ट्रैक पार करने का जोखिम उठाने में जान गंवा देते हैं। घर जल्द पहुंचने की जल्दबाजी में काफी लोग रेलवे फुटओवर ब्रिज से ना जाकर शार्टकर्ट जाने के चक्कर में ट्रेन की चपेट में आ रहे हैं। इस प्रकार महीने में 22 से 24 लोगों की मौत ट्रेन से कटकर हो रही है। जबकि पिछले पांच वर्षो में 60 लोगों ने ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली है। यानी प्रत्येक महीने एक व्यक्ति ने ट्रेन से कटकर अथवा ट्रेन के सामने छलांग लगाकर खुदकशी कर है।
लोगों की जिंदगी को बचाने के लिए रेलवे राजकीय पुलिस ने अब सख्ती अपना रही है। बताया गया है कि हावड़ा शाखा में रेलवे ट्रैक पार करने वालों को पकड़ कर जुर्माना वसूला जा रहा है। रेलवे पुलिस इस तरह की सख्ती इसलिए बरत रही है ताकि लोगों की जिंदगी को बचाया जा सके। बंडेल, बलूर समेत कई स्टेशनों में ट्रेक पार करने वालों लापरवाह लोगों पर जीआरपी पैनी नजर रख रही है।