Power of Music: संगीत सुनकर कोमा से बाहर आई कोलकाता की संगीता
कहते हैं संगीत की कोई सरहद या हद नहीं होती। यह दिल की गहराईयों में उतरकर किसी को भी मुग्ध कर देती है। यदि संगीत किसी को कोमा से बाहर ले आए तो इसे संगीत की शक्ति ही कहेंगे।
जेएनएन, कोलकाता। संगीत की शक्ति के बारे में आपने पहले भी सुना होगा। आपने सुना होगा कि कैसे संगीत की धुन पर दीये जल उठते थे। आपने संगीत की धुन पर बादलों के बरसने की कहानियां भी सुनी होंगी। हमारे देश में पिछले कुछ सालों के दौरान एक-दो ऑपरेशन ऐसे हुए हैं, जिसमें मरीज वायलिन या गिटार बजाते रहा और उसका ऑपरेशन हो गया। लेकिन कोलकाता की यह कहानी थोड़ी अलग है।
संगीत किसी की बीमारी को सही कर दे, ऐसा शायद ही कभी सुना गया हो, लेकिन कोलकाता में यह करिश्मा हुआ है। कोलकाता के मशहूर सेठ सुखलाल करनानी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (एसएसकेएम) में भर्ती एक महिला कई दिनों से कोमा में थी और म्यूजिक थेरपी के जरिये वह इससे बाहर आई है।
यह भी कितना बड़ा संयोग है कि संगीत सुनकर जो महिला कोमा से बाहर निकली उसका नाम भी संगीता है। 21 वर्षीय महिला संगीता दास को एन राजम के दरबारी कनाड़ा संगीत (वॉयलिन) को दिन में तीन बार सुनने की सलाह दी गई थी। संगीता के परिवार ने माना कि किस तरह संगीत सुनने से उसे कोमा से बाहर आने में मदद मिली।
पद्म पुरस्कार से सम्मानित दिग्गज वॉयलिन वादक राजम भी यह खबर सुनकर हैरान हैं। राजम ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मैंने बहुत पैसा कमाया है, बहुत अवॉर्ड जीते हैं, लेकिन कभी नहीं सोचा था कि मेरा वॉयलिन बजाना किसी को जिंदगी दे सकता है। मैं अपनी भावनाएं शब्दों में नहीं बयां कर सकती हूं।
राजम ने कहा कि मैं संगीता के पूरी तरह स्वस्थ होने पर उससे मिलूंगी और उन डॉक्टरों से भी, जिन्होंने उसे यह सलाह दी थी। संगीता के डॉक्टर संदीप कुमार खुद भी एक वॉयलिन वादक हैं।
डॉक्टर संदीप ने संगीता के परिवार को म्यूजिक थेरपी की सलाह दी थी। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि हमें उसके पूरी तरह होश में आने का इंतजार करना चाहिए। फिलहाल उसके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है।