Move to Jagran APP

IIT खड़गपुर से विकसित मॉडल से लगा पूर्वानुमान, सितंबर के आखिर तक कोरोना से मुक्ति नहीं

बंगाल के खड़गपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) ने एक मॉडल विकसित किया है जिससे भविष्य में कोरोना के संक्रमण की परिपाटी का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2020 08:03 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 08:03 PM (IST)
IIT खड़गपुर से विकसित मॉडल से लगा पूर्वानुमान, सितंबर के आखिर तक कोरोना से मुक्ति नहीं
IIT खड़गपुर से विकसित मॉडल से लगा पूर्वानुमान, सितंबर के आखिर तक कोरोना से मुक्ति नहीं

राज्य ब्यूरो, कोलका :_बंगाल के खड़गपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) ने एक मॉडल विकसित किया है, जिससे भविष्य में कोरोना के संक्रमण की परिपाटी का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है और उसके आधार पर स्वास्थ्य सेवाओं, उद्योग और यहां तक कि अकमादमिक फैसले लिए जा सकते हैं। संस्थान की ओर से जारी बयान में कहा गया कि अध्ययन में यह भी संकेत मिला कि सितंबर के अंत तक देश में कोविड-19 संक्रमितों की संख्या बढ़ती रहेगी।

loksabha election banner

कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अभिजीत दास ने यह तार्किक मॉडल तैयार किया है, जिसमें दैनिक आधार पर आ रहे संक्रमण के आंकड़ों के आधार पर पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। दास ने कहा कि मॉडल से खुलासा हुआ कि देश में महामारी के चरम पर पहुंचने में अभी समय है। उन्होंने कहा कि इस साल सितंबर के आखिर तक कोविड-19 की महामारी से मुक्ति मिलती नहीं दिख रही हैं। दास ने कहा कि यह जानकारी हमें सहज नहीं करती, लेकिन वास्तविकता को स्वीकार करना होगा और इस महामारी से जुड़े सभी मामलों से निपटने के लिए उचित योजना बनानी होगी। 

आठ राज्यों के डाटा का मॉडल में किया गया है इस्तेमाल 

मॉडल में पूरे देश के और सबसे अधिक आठ राज्यों- महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मध्यप्रदेश का पूर्वानुमान लगाने के लिए डाटा का इस्तेमाल किया गया है। मॉडल को विकसित करने के बारे में प्रोफेसर दास ने कहा कि हमने केवल सार्वजनिक मंचों पर उपलब्ध संक्रमण के आंकड़ों का इस्तेमाल किया है। इसमें चिकित्सा रिकॉर्ड और संक्रमित के संपर्क में आने वाले लोगों के आंकड़ों का इस्तेमाल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद संक्रमण दर पुराने आंकड़ों के आधार पर सटीक बैठती है और भविष्य की योजना में इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।

दास ने कहा कि हालांकि, समय के साथ पूर्वानुमान तेजी से बदलता है। उन्होंने कहा कि इसके कई संभावित कारक हैं, जैसे लॉकडाउन के विभिन्न चरणों में लोगों की आवाजाही, श्रमिकों का बड़े पैमाने पर पलायन, जांच की सुविधा में बदलाव और कोरोना वायरस का क्रमिक विकास। दास ने कहा कि यह किसी भी रणनीतिक मॉडल या मौजूदा पूर्वानुमान मॉडल के नियंत्रण से बाहर है। आइआइटी खड़गपुर के निदेशक प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि यह मॉडल प्रायोगिक है, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में संस्थान के अकादमिक सत्र और नीतिगत मामलों की योजना बनाने में मददगार साबित हो सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.