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विद्युत विधेयक पर ममता की आपत्ति से भड़के सुवेंदु, कहा- 'घड़ियाली आंसू बहा रही हैं सीएम'

ममता ने पीएम को पत्र लिखकर कहा था मैं काफी आलोचना झेल चुके बहुप्रतीक्षित विद्युत (संशोधन) विधेयक 2020 को संसद में पेश करने की केंद्र सरकार की नई पहल के खिलाफ फिर से अपना विरोध दर्ज करवाने के लिए यह पत्र लिख रही हूं।

By Priti JhaEdited By: Published: Sun, 08 Aug 2021 01:19 PM (IST)Updated: Sun, 08 Aug 2021 01:19 PM (IST)
राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा विद्युत (संशोधन) विधेयक- 2020 को संसद में पेश करने के केंद्र के प्रयास का विरोध करने और शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस पर आगे नहीं बढ़ने के अनुरोध के बाद अब राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी ने उन पर निशाना साधा है। सुवेंदु ने रविवार को ट्वीट करते हुए कहा कि सीएम घड़ियाली आंसू बहा रही हैं। कोलकाता में बिजली सबसे महंगी हैं।

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बता दें कि शनिवार को ममता ने पीएम को पत्र लिखकर कहा था, मैं काफी आलोचना झेल चुके बहुप्रतीक्षित विद्युत (संशोधन) विधेयक 2020 को संसद में पेश करने की केंद्र सरकार की नई पहल के खिलाफ फिर से अपना विरोध दर्ज करवाने के लिए यह पत्र लिख रही हूं।

इसे पिछले साल पेश किया जाना था लेकिन हममें से कई लोगों ने मसौदा विधेयक के जनविरोधी पहलुओं को रेखांकित किया था और मैंने 12 जून 2020 को आपको लिखे अपने पत्र में इस विधेयक के सभी मुख्य नुकसानों के बारे में विस्तार से बताया था।

ममता ने कहा कि मैं यह सुनकर स्तब्ध हूं कि हमारी आपत्तियों पर कोई विचार किए बिना यह विधेयक फिर आ रहा है और वास्तव में इस बार इसमें कुछ गंभीर जनविरोधी बातें विधेयक में जोड़ी गई हैं। इसके बाद सुवेंदु ने रविवार को ट्वीट करते हुए लिखा, विद्युत (संशोधन) विधेयक 2020 पर बंगाल की सीएम आपत्ति कर घड़ियाली आंसू बहा रही हैं।

वास्तव में कोलकाता में एक निजी कंपनी के एकाधिकार की रक्षा के लिए उच्चतम शुल्क वसूलती हैं। निजी स्वार्थ के तहत काम कर रही हैं। नये अधिनियम से प्रतिस्पर्धा से सार्वजनिक हित में मदद मिलेगी जिसके परिणामस्वरूप शुल्क कम हो जाएगा।

केंद्र सरकार द्वारा पांच फरवरी, 2021 को भेजे गए पत्र के जवाब में सीएम को यह बताना चाहिए कि वह किन प्रावधानों पर आपत्ति जता रही हैं। साथ ही उन्हें अपने द्वारा उठाई गई इस मनमानी आपत्ति के कारणों को भी स्पष्ट करना चाहिए जो मुख्य रूप से जनहित में प्रतीत नहीं होता है। 


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