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सुवेंदु अधिकारी का दावा, ममता सरकार ने उनके व भाई के खिलाफ दायर किए 29 झूठे मुकदमे, खर्च किए 20 करोड़ रुपये

सुवेंदु अधिकारी ने दावा किया कि ममता सरकार ने पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक उनके व भाई सौमेंदु अधिकारी के खिलाफ झूठे आरोपों में 29 मुकदमे दायर किए हैं। इन मुकदमों को लडऩे के लिए सरकारी खजाने से 20 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

By JagranEdited By: Sumita JaiswalPublished: Tue, 27 Sep 2022 04:56 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 04:56 PM (IST)
सुवेंदु अधिकारी का दावा, ममता सरकार ने उनके व भाई के खिलाफ दायर किए 29 झूठे मुकदमे, खर्च किए 20 करोड़ रुपये
बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी की तस्‍वीर।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने दावा किया कि ममता सरकार ने बंगाल में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद से लेकर अब तक उनके और उनके भाई सौमेंदु अधिकारी के खिलाफ झूठे आरोपों में 29 मुकदमे दायर किए हैं। इन मुकदमों को लडऩे के लिए सरकारी खजाने से 20 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। 

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सुवेंदु ने आगे कहा कि जिन रुपयों को जन कल्याणकारी कार्यों में इस्तेमाल होना था, उन्हें विरोधी दलों के नेताओं का दमन करने में लगाया जा रहा है। पिछले साल दो मई को मतगणना के बाद से अब तक उनके खिलाफ 21 और उनके भाई सौमेंदु के खिलाफ आठ मुकदमे दायर किए गए हैं। गौरतलब है कि सौमेंदु कांथी नगरपालिका से पूर्व चेयरमैन हैं। 

सुवेंदु ने दावा किया कि राज्य के पूर्व मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय से जुड़े मामले में भी राज्य सरकार के खजाने से अब तक डेढ़ करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। ये रुपये सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता व वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी को दिए गए हैं। इन सबसे पता चल सकता है कि वह (ममता बनर्जी) राज्य के लोगों के लिए कितना सोचती हैं। 

दूसरी तरफ सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने सुवेंदु के आरोपों को झूठा व बेबुनियाद बताया है। तृणमूल विधायक तापस राय ने कहा-'आरोप लगाना सुवेंदु की आदत बन चुकी है। इसमें कोई सच्चाई नहीं है इसलिए उनकी बातों का जवाब देना हम जरूरी नहीं समझते।Ó

बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी कई बार कह चुकी हैं कि उनकी सरकार बदले की भावना से राजनीति नहीं करती। अगर ऐसा होता तो बहुतों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया जाता। 34 वर्षों तक शासन करने वाली माकपा के किसी नेता या कार्यकर्ता को बहुत से कारनामे करने के बावजूद गिरफ्तार नहीं किया गया।


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