Move to Jagran APP

जोदी तोर डाक सुने केऊ ना आसे, तोबे एकला चोलो रे : शेख हसीना

शांतिनिकेतन से मेरा पुराना नाता है। यह सिर्फ भारत अथवा पश्चिम बंगाल का नहीं, हमारा भी है। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे अपने हाथों से गढ़ा था।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 26 May 2018 10:26 AM (IST)Updated: Sat, 26 May 2018 03:17 PM (IST)
जोदी तोर डाक सुने केऊ ना आसे, तोबे एकला चोलो रे : शेख हसीना
जोदी तोर डाक सुने केऊ ना आसे, तोबे एकला चोलो रे : शेख हसीना

शांतिनिकेतन, जागरण संवाददाता। शांतिनिकेतन से मेरा पुराना नाता है। यह सिर्फ भारत अथवा पश्चिम बंगाल का नहीं, हमारा भी है। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे अपने हाथों से गढ़ा था। उन्होंने अधिकांश कविताएं बांग्लादेश में ही लिखी थीं इसलिए मुझे लगता है कि इस पर हमारा अधिकार कुछ ज्यादा ही है।

loksabha election banner

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शुक्रवार को विश्वभारती विश्वविद्यालय में नवनिर्मित बांग्लादेश भवन के उद्घाटन अवसर पर अपने संबोधन में ये विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा-'बांग्लादेश भवन के उद्घाटन का सुअवसर पाकर मैं आनंदित हूं। विश्वभारती से मेरा पुराना नाता है। मुझे यहां पढ़ने का अवसर तो नहीं मिला, फिर भी आत्मा का मेल बंधन हो गया है। इसे मैं अपना विश्वविद्यालय ही मानती हूं।

1999 में मुझे विश्वभारती से 'देशिकोत्तम' दिया गया था।' हसीना ने आगे कहा कहा-'मुझे अपने पिता शेख मुजीबुर रहमान को काफी कम देखने को मिला है। उनका अधिकांश समय जेल में ही बीता। जब बाहर होते थे तो कभी-कभी हम अपने गांव के घर जाते थे। वहां स्टीमर से जाना पड़ता था। उस स्टीमर के डेक पर बैठकर पिता कविता पाठ करते थे। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कितनी ही कविताएं पिता के मुंह से सुनी हैं।'

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने कहा-' मेरे पिता ने बांग्लादेश के लोगों के हक के लिए आजीवन संग्राम किया। मातृभाषा में बातचीत करने का हक तक हमें खून देकर अर्जित करना पड़ा है। मेरे पिता जब भी किसी मुश्किल में होते थे तो उच्चारण करते थे-'जोदी तोर डाक सुने केऊ ना आसे, तोबे एकला चोलो रे..! (तुम्हारी आवाज सुनकर अगर कोई न आए तो अकेले चलो..!)

हसीना ने एक बार फिर भारत का शुक्रिया अदा करते हुए कहा-'भारत ने मुक्ति युद्ध में हमारा साथ दिया था। करीब एक करोड़ शरणार्थियों को आश्रय दिया था। खाने-पीने की चीजें, चिकित्सा सामग्रियां प्रदान की थी। इंदिरा गांधी समेत समूचा भारतवर्ष हमारे साथ खड़ा हुआ था। वे बातें अभी याद आ रही हैं।'

छींटमहल के बारे में उन्होंने कहा-'भारत-बांग्लादेश ने सौहार्दपूर्वक छींटमहल का आदान-प्रदान किया है। दो देशों के बीच समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन हम मैत्रीपूर्ण परिवेश में उनका समाधान कर सकते हैं। हमें विकासशील देश का दर्जा मिला है।

बांग्लादेश को उन्नत और गरीबी-मुक्त करना होगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि बांग्लादेश के साथ भारत का अटूट सौहार्दपूर्वक संबंध है। बार-बार इसका प्रमाण मिला है। काजी नजरुल इस्लाम बांग्लादेश के राष्ट्रीय कवि हैं, उसी तरह भारत में भी उन्हें बहुत सम्मान मिला है।

नजरुल इस्लाम के नाम पर बंगाल में हवाई अड्डा, विश्वविद्यालय, एकेडमी और तीर्थ तैयार हो रहे हैं। ममता ने 'बंगबंधु' के नाम पर एक भवन के निर्माण का भी प्रस्ताव रखा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.