ठंडे पानी में रखते ही खाने के लायक हो जाएगा यह चावल, जानें-इसकी खासियत
इस चावल को पकाने के लिए गरम पानी नहीं चाहिए। आग पर पकाने का झंझट नहीं। सामान्य पानी में ही इसे डाल दीजिए। कुछ देर में यह भात बन जाएगा। इस चावल का नाम है कमल।
आसनसोल, संजीव कुमार सिन्हा। बंगाल के वर्द्धमान, नदिया समेत कई जिलों में एक खास किस्म के चावल की खेती शुरू की गई है। इस चावल को पकाने के लिए गरम पानी नहीं चाहिए। आग पर पकाने का झंझट नहीं। सामान्य पानी में ही इसे डाल दीजिए। कुछ देर में यह भात बन जाएगा। इस चावल का नाम है कमल।
दरअसल, यह धान मूलत: ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे उपजता है, माजुली द्वीप पर। पश्चिम बंगाल के कुछ किसान वहां से इस धान का बीज लेकर आए हैं। इसकी खेती शुरू की तो अच्छी उपज होने लगी। इस चावल के गुणों को जानने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने इसके व्यवसायिक उत्पादन को प्रोत्साहित करने की घोषणा की है। जाहिर है, इससे किसानों में उत्साह है। नदिया में दस हेक्टेयर जमीन में खेती हुई है। सबसे अच्छी बात यह है कि कमल धान के उत्पादन में सिर्फ जैविक खाद का उपयोग किया जाता है। प्रति हेक्टेयर इसका उत्पादन 3.4 से 3.6 टन तक होता है।
कमल धान की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि इस चावल को ठंडे पानी में रख दें। आधा घंटा में यह खुद पक जाएगा। पानी से इसे निकालकर आप सामान्य पके हुए चावल की तरह इसे खा सकते हैं। राज्य के कृषि मंत्री आशीष बनर्जी वर्द्धमान में लगे मेला में इसके गुणों से रूबरू हुए। उन्होंने इसके व्यवसायिक उत्पादन पर जोर दिया है। नदिया जिले में कमल धान की खेती को प्रोत्साहित कर रहे सहायक कृषि निदेशक अनुपम पाल हाल में वर्द्धमान में हुए माटी उत्सव में भाग लेने आए थे। उन्होंने बताया कि नदिया में दस हेक्टेयर में प्रयोग के तौर पर इसकी खेती की गई है। इसके अच्छे परिणाम मिले हैं। कहा कि धान से चावल निकालना भी काफी सरल है। धान को उबालकर धूप में सुखा लें। फिर कूटकर चावल अलग कर लें।
सैनिक करते थे इस चावल का प्रयोग
कमल धान की खेती करने वाले कई किसानों ने बताया कि इस चावल का प्रयोग सैकड़ों वर्ष पहले सैनिक करते थे। क्योंकि युद्ध के दौरान सैनिक खाना पकाने की दुश्वारी नहीं चाहते थे। वे कहीं से भी प्याज- मिर्च व नमक की व्यवस्था कर इस चावल का प्रयोग कर लेते थे।
बेहद पौष्टिक है कमल चावल
सहायक निदेशक अनुपम पाल कहते हैं कि कमल चावल काफी पौष्टिक है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, पेप्टिन समेत कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं। यह चावल सामान्य से थोड़ा मोटा होता है। प्रति हेक्टेयर इसका उत्पादन 3.4 से 3.6 टन तक होता है। कमल धान की बिचाली करीब पांच फीट तक ऊंची होती है।
किसान बोले, कमल चावल मोटा पर स्वाद बेजोड़
कमल धान की खेती करने वाले वीरभूम के लावपुर के किसान अतुल गोराई ने कहा कि दो वर्ष से कमल धान की खेती कर रहे हैं। अगले वर्ष से इसकी ज्यादा खेती करेंगे। पश्चिम मेदिनीपुर के मोहनपुर प्रखंड के गोमुंडा गांव के किसान निताई दास ने कहा कि कमल धान ठंडे पानी में पक जाता है। इसकी कीमत करीब 60 से 80 रुपये किलो तक है। अपने घर की जरूरत के मुताबिक इसकी खेती करते हैं। किसान गोकुलचंद महापात्रा ने बताया कि
थोड़ा मोटा चावल है। लेकिन सब्जी, गुड़ के साथ खाने में खूब स्वाद आता है। अभी अपने घर में खाने के लिए इसकी खेती कर रहे हैं।