मैथिली के जाने-माने साहित्यकार रामलोचन ठाकुर कोलकाता स्थित आवास से लापता, चिंता में मिथिलावासी
वरिष्ठ साहित्यकार ठाकुर ने मैथिली में मौलिक लेखन के अलावा उन्होंने बांग्ला की कई पुस्तकों का भी मैथिली में अनुवाद किया है जिनमें माणिक बंदोपाध्याय शक्ति चट्टोपाध्याय एवं हुमायूं अहमद की पुस्तकें शामिल हैं। वह कई पत्रिकाओं के संपादक भी रहे हैं।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। मैथिली के जाने-माने व वरिष्ठ साहित्यकार रामलोचन ठाकुर कोलकाता के दमदम स्थित अपने आवास से शुक्रवार से ही लापता हैं। तीन दिन बाद भी उनका अब तक कोई अता- पता नहीं चल सका है। इसको लेकर उनके परिजनों सहित यहां रह रहे बड़ी संख्या में प्रवासी मिथिलावासी चिंता में हैं।
जानकारी के अनुसार मैथिली के जाने-माने साहित्यकार रामलोचन ठाकुर कोलकाता स्थित आवास से शुक्रवार से ही लापता हैं। मिथिलावासी चिंता में हैं। परिजनों की ओर से दमदम थाने में उनकी गुमशुदगी की शिकायत उसी दिन दर्ज कराई जा चुकी है, बावजूद इसके पुलिस अब तक उनका पता नहीं लगा पाई है। 72 वर्षीय ठाकुर अल्जाइमर से ग्रसित हैं।
परिजनों ने बताया कि कोलकाता में दमदम के पास इटालगच्छा रोड इलाके में स्थित घर से वे 12 फरवरी, शुक्रवार सुबह से लापता हैं। इधर, कोलकाता सहित बंगाल में मिथिला से जुड़े कई संस्थाओं व संगठनों ने श्री ठाकुर का पता लगाने के लिए इंटरनेट मीडिया व अन्य माध्यमों से भी जोर शोर से अभियान शुरू किया है।
गौरतलब है कि वरिष्ठ साहित्यकार ठाकुर ने मैथिली में मौलिक लेखन के अलावा उन्होंने बांग्ला की कई पुस्तकों का भी मैथिली में अनुवाद किया है, जिनमें माणिक बंदोपाध्याय, शक्ति चट्टोपाध्याय एवं हुमायूं अहमद की पुस्तकें शामिल हैं। वह कई पत्रिकाओं के संपादक भी रहे हैं। हाल में वह मिथिला दर्शन नामक पत्रिका का संपादन कर रहे थे।