Raw Jute: स्टॉक सीमा घटाने के सरकार के फैसले के विरोध में कच्चे जूट की आपूर्ति होगी स्थगित
Raw Jute पश्चिम बंगाल में जूट बेलर्स के सचिव एके पलित ने कहा कि हम इस अप्रिय निर्णय को लेने के लिए मजबूर हो गए हैं क्योंकि इस तरह की मात्रा के साथ व्यापार करना लगभग असंभव है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Raw Jute: स्टॉक सीमा घटाने के सरकार के फैसले के विरोध में आपूर्तिकर्ताओं ने रविवार को 23 नवंबर से कच्चे जूट की आपूर्ति स्थगित करने की घोषणा की है। इससे जूट मिलों में कच्चे माल की अनुपलब्धता के कारण जूट के थैलों का उत्पादन बाधित हो सकता है। लिहाजा खाद्यान्न की पैकेजिंग के लिए जूट बोरियों की कीमत में बेतहाशा वृद्धि हो सकती है। गौरतलब है कि बंगाल की जूट मिलें देश में खाद्यान्न पैकेजिंग के लिए जूट बोरियों की सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता हैं। कच्चे जूट के आपूर्तिकर्ताओं के संगठन जूट बेलर्स एसोसिएशन ने जूट मिल मालिकों के संगठन इंडियन जूट मिल एसोसिएशन को लिखे एक पत्र में सूचित किया कि वे 23 नवंबर से सभी कच्चे जूट व्यापार गतिविधियों को निलंबित कर देंगे।
जमाखोरी रोकने के लिए सरकार ने स्टॉक सीमा घटाने का किया था फैसला
दरअसल, जमाखोरी को रोकने के लिए जूट आयुक्त ने कच्चे जूट की स्टॉक सीमा 1,500 क्विंटल से घटाकर 500 क्विंटल कर दी है। कच्चे जूट की कीमत 4,225 रुपये के एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के मुकाबले 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ गई थी। जूट बेलर्स के सचिव एके पलित ने कहा कि हम इस अप्रिय निर्णय को लेने के लिए मजबूर हो गए हैं, क्योंकि इस तरह की मात्रा के साथ व्यापार करना लगभग असंभव है। जूट आयुक्त कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जूट की असामान्य मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए नियंत्रण के उपाय किए गए थे और स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।
जूट मिलों ने कहा, निर्णय अनुचित और गैरकानूनी
इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राघवेंद्र गुप्ता ने कहा कि यह निलंबन अनुचित और गैरकानूनी है। अगर बेलर्स हड़ताल पर चले जाते हैं, तो उनके स्टॉक खत्म होने के बाद मिलों में उत्पादन रुक जाएगा। सूत्रों ने कहा कि मिलों को खाद्यान्न पैकेजिंग के लक्ष्य को पूरा करने के लिए 15 दिसंबर तक चार लाख गांठ के जूट के थैलों की आपूर्ति करनी है, लेकिन उत्पादन प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की बाधा से आपूर्ति बाधित होगी। जूट मिल मालिकों के संगठन ने बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा को भी पत्र लिखकर मिलों के लिए कच्चे जूट संकट से अवगत कराया था और इस मुद्दे को हल करने के लिए राज्य सरकार के हस्तक्षेप की मांग की थी। जूट व्यापार संघों ने भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कच्चे जूट की बढ़ती कीमत के बारे में सूचित किया था और आरोप लगाया था कि जूट आयुक्त कार्यालय द्वारा उठाए गए कदम संकट को बढ़ाएंगे।