50 करोड़ मृत राशन कार्ड धारकों को मिल रहा राशन
पश्चिम बंगाल में करीब छह करोड़ राशन कार्ड में से 4 करोड़ राशन कार्ड को ही अब तक आधार कार्ड के साथ जोड़ा गया है।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। पश्चिम बंगाल में करीब छह करोड़ राशन कार्ड में से 4 करोड़ राशन कार्ड को ही अब तक आधार कार्ड के साथ जोड़ा गया है। केंद्रीय खाद्य, उपभोक्ता व सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से इस साल अप्रैल में जारी रिपोर्ट के मुताबिक बंगाल में 63 फीसद राशन कार्ड को ही आधार के साथ लिंक किया गया है।
जबकि ओड़िशा पंजाब, राजस्थान जैसे राज्यों में आधार के साथ 95-99 फीसद तक राशन कार्ड लिंक किए जा चुके हैं। राज्य में खाद्य साथी के तहत लोगों को राशन दुकानों में दो रुपये प्रति किलो के दर से गेहूं व चावल मुहैया कराया जाता है। लेकिन एक सबसे बड़ी समस्या इसमें अनियमितता को लेकर है।
एक ताजा रिपोर्ट में पता चला है कि यहां करीब 50 करोड़ राशन कार्ड धारक ऐसे हैं जो यूं तो मर चुके हैं लेकिन उन्हें अब भी राशन मिलता है। हालांकि इस पर कार्रवाई करते हुए सभी जिलों के संबंधित अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर मृतकों के नाम पर चल रहे हैं राशन कार्ड को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का निर्देश दिया गया है।
खाद्य विभाग के प्रधान सचिव मनोज अग्रवाल ने राज्य भर के सभी प्रशासनिक अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर स्पष्ट निर्देश दिया है कि 2016 से 2018 के मई तक मरे हुए लोगों की पूरी सूची खाद्य विभाग को भेजें जिसके आधार पर मर चुके लोगों का राशन कार्ड रद किया जा सके। इसके बाद हर महीने मरने वालों की सूची राशन डीलरों के पास रहेगी एवं प्रत्येक महीने ऐसे लोगों का राशन कार्ड रद्द किया जाएगा।
इससे इस धांधली पर लगाम लगाई जा सकती है। 1खाद्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि प्रतिवर्ष यहां हजार में से करीब 08 लोग हर महीने मरते हैं जबकि केवल 02 लोगों का राशन कार्ड रद होता है और बाकी छह मृतकों के नाम पर भी राशन दिया जाता रहा है। पता चला है कि राज्य भर में ऐसे 06 लाख राशन कार्ड है जो लोग मर चुके हैं लेकिन उनके नाम पर चावल और गेहूं आवंटित होता रहा है। इसके पीछे करीब 50 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। यही वजह है कि खाद्य विभाग ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए कदम उठाया है।
वहीं, इस पर राज्य के खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक का कहना है कि वाम मोर्चा के शासनकाल से लेकर अभी तक करीब 01 करोड़ 35 लाख फर्जी राशन कार्ड की जानकारी मिली थी जिसे राज्य सरकार ने रद किया है। अब यह पता चला है कि कुछ ऐसे राशन डीलर है जो मरे हुए लोगों का राशन कार्ड रखकर उनके नाम पर राशन बेच रहे हैं। इस पर कदम उठाया जा रहा ताकि इसे रोका जा सके।
उन्होंने बताया कि आगे से मृत व्यक्ति की सूची राशन डीलरों को भी दी जाएगी ताकि इस पर लगाम लगाया जा सके।यहां बता दें कि राशन दुकानों पर नकेल कसने के लिए राज्य सरकार ने इसे आनलाइन करने की योजना बनाई है ताकि ऐसे डीलरों की पहचान की जा सके जो लोगों को राशन देने के बजाय बाहर ब्लैक करते हैं।
दरअसल कुछ लोग ऐसे भी हैं जो व्यस्तता के कारण राशन नहीं उठा पाते और ऐसे लोगों के हिस्से का राशन बाहर बेंच दिया जाता है। विभागीय सूत्रों की माने तो संबंधित विभाग इसके लिए उन वाहनों पर जीपीएस लगाने की योजना पर कार्य कर रही है जो राशन को डीलरों तक पहुंचाते हैं