बंगाल के शहीद जवान राजेश की मां ने कहा- 'मेरे बेटे को न्याय मिले, हमें चीन से बदला चाहिए'
राजेश की उम्र महज 20 साल थी और 2015 में वे सेना में शामिल हुए थे। चीनी सेना से लोहा लेते हुए शहीद हुए राजेश तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। बेटे की शहीदी पर पूरा परिवार शोक संतप्त
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना से हुए हिंसक संघर्ष में शहीद होने वाले जवानों के घरों और गांवों में मातम पसरा हुआ है। पूरे देश में इसे लेकर आक्रोश है। देश के लोग इसे लेकर ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं, शहीदों के परिजनों में भी गुस्सा और गम है। चीनी सेना से झड़प में शहीद हुए 20 जवानों में बंगाल के भी दो सैनिक शामिल हैं। इनमें से बीरभूम जिले के रहने वाले एक शहीद राजेश ओरांग की मां ने चीन से बदला लेकर अपने बेटे के लिए न्याय की मांग की है।
जिले के मोहम्मद बाजार थाना अंतर्गत बेलघोरिया गांव निवासी सेना में सिपाही राजेश के परिवार को मंगलवार देर रात बताया गया कि संघर्ष के दौरान वह घायल हो गए हैं। बाद में सेना मुख्यालय से फोन आया कि उनकी मौत हो गई है। इसके बाद परिवार व उनके गांव में मातम पसर गया। उनकी मां का रो- रो कर बुरा हाल है और वह कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं हैं। हालांकि बार-बार पूछे जाने पर राजेश की मां ममता ओरांग ने अपने बहादुर बेटे के लिए न्याय की मांग की। वीर जवान की मां ने कहा, 'हम चाहते हैं कि भारतीय सेना उन्हें मुहतोड़ जवाब दे। मैं अपने बेटे के लिए न्याय चाहती हूं। हम बदला लेना चाहते हैं।' 26 वर्षीय राजेश 2015 में सेना में शामिल हुए थे। वे तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। दरअसल, घर वाले राजेश की शादी कराने की तैयारी कर रहे थे। उनकी मां आस लगाए हुए थी कि अगली छुट्टियों में जब बेटा घर आएगा तो उसकी शादी कराएंगे। लेकिन इस बीच उनकी शहादत की खबर से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। पिता सुभाष ने बताया कि राजेश की दो छोटी बहनें हैं। साधारण से किसान सुभाष ने गरीबी के बीच अपने तीनों बच्चों की परवरिश की। ओरांग परिवार को जहां अपने घर का चिराग खोने का गम है वहीं राजेश के शहादत पर गर्व भी है।
बहन ने कहा, पिछले हफ्ते हुई थी भाई से बात
वहीं, शहीद राजेश की बहन शकुंतला ओरांग ने रोते हुए कहा, 'उन्होंने मुझे पिछले हफ्ते फोन किया था, थोड़ी देर ही हमारी भाई से बात हुई थी। उन्होंने सबकी सेहत के बारे में पूछा था, और मुझे भी सुरक्षित रहने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि एक-दो हफ्ते अब बात नहीं हो पाएगी क्योंकि बार्डर पर पहुंचने के लिए पहाड़ पर चढ़ना है।' शकुंतला ने आगे कहा कि बचपन से ही मेरा भाई देश की सेवा करना चाहता था और वह सेना में शामिल होकर खुश था। वह कुछ महीनों पहले छुट्टी पर घर भी आए थे और उनकी शादी की बातचीत चल रही थी।
जिले के अधिकारी भी पहुंचे शहीद के घर
इस बीच, राजेश के घर जिले के अधिकारी भी पहुंचे। उनके घर तक जाने का रास्ता साफ कर दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि राजेश का पार्थिव शरीर बुधवार रात गांव में पहुंचने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि राजेश के अलावा बंगाल के अलीपुरद्वार जिले के एक अन्य सैनिक विपुल राय (35) भी शहीद हो गए। उनके गांव में भी मातम पसरा हुआ है। दोनों बिहार रेजीमेंट में तैनात थे।