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ब्रिगेड रैली से पीएम मोदी ने खींची लंबी लकीर, बंगाली अस्मिता व संस्कृति के साथ पेश किया विकास का रोडमैप

Bengal Chunav 2021 कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाली अस्मिता व संस्कृति के साथ पेश किया विकास का रोडमैप पेश किया। -संबोधन में उत्तर से दक्षिण बंगाल जंगलमहल से लेकर दलित-वंचित और सिटी ऑफ फ्यूचर का भी उल्लेख किया।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 08:38 AM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 08:38 AM (IST)
कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में पहली चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंबी लकीर खींच दी।

कोलकाता, जयकृष्ण वाजपेयी। बंगाल में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद रविवार को अपनी पहली चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंबी लकीर खींच दी। यह ऐसी लकीर है, जो शायद इस चुनावी अभियान की धुरी बन जाए। कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड मैदान में जुटी भारी भीड़ को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने एक ओर जहां बंगाल के विकास का रोडमैप पेश किया तो दूसरी ओर अपनी पार्टी भाजपा और खुद को बंगाली अस्मिता व संस्कृति से जोड़कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को करारा जवाब दिया। साथ ही राष्ट्रवाद का उन्होंने ऐसा माहौल बनाया कि लोग उनसे पूरी तरह से कनेक्ट हो गए। यही वजह रही कि तपती धूप और गर्मी के बीच लोग पूरे धैर्य के साथ उनका भाषण सुनने के लिए घंटों मैदान में डटे रहे। उन्होंने करीब 65 मिनट के अपने संबोधन में विकास पर जोर देते हुए कहा-'हम बंगाल की राजनीति को विकास केंद्रित करना चाहते हैं इसलिए 'आसोल पोरिबर्तन (असली परिवर्तन) की बात कर रहे हैं।' ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि तृणमूल कांग्रेस और वामो-कांग्रेस गठबंधन अपने चुनावी अभियान विकास पर केंद्रित करते हैं या नहीं। पीएम मोदी ने भाजपा नेताओं के लिए भी लकीर खींच दी है।

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 बांग्ला भाषा पर जोर

पीएम ने ममता सरकार से सवाल किया कि आज कोलकाता देश के टॉप टेन शहरों में शामिल क्यों नहीं है? कोलकाता तो सिटी ऑफ ज्वॉय है। कोलकाता के पास समृद्ध अतीत की विरासत भी है और भविष्य की संभावनाएं भी हैं। ऐसा कोई कारण नहीं है कि कोलकाता की संस्कृति को सुरक्षित रखते हुए इसे सिटी ऑफ फ्यूचर न बनाया जा सके। उन्होंने बंगाल के विकास के साथ-साथ विरासत और संस्कृति पर भी जोर दिया। वहीं इंजीनियरिंग, डॉक्टरी, टेक्नोलॉजी जैसी पेशेवर पढ़ाई भी बांग्ला भाषा कराए जाने की बात कहकर बंगाली अस्मिता के साथ जुडऩे की कोशिश की, जिसका विरोध करना ममता ही नहीं, वामपंथी दलों और कांग्रेस के लिए भी मुश्किल होगा। ममता भाजपा और पीएम मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तक को बंगाल विरोधी और बाहरी करार देती रहती हैं। 

 ऐसे में भाजपा की ओर से चुनावी घोषणापत्र में बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की बात हो या फिर महान फिल्म निर्देशक दिवंगत सत्यजित राय के नाम पर अवार्ड देने की घोषणा, यह साफ करता है कि भगवा ब्रिगेड बंगाली अस्मिता और संस्कृति को लेकर पूरी तरह से गंभीर है। ममता जो शब्दरूपी पत्थर चला रही हैं, उससे पीएम मोदी खुद के लिए सीढ़ी बनाने को कोशिश में हैं। बंगाल में भाजपा नेताओं को संबोधन में जयश्री राम के नारे काफी लगते हैं। परंतु, शाह से लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तक जय श्रीराम के नारे लगाते हैं। पर, पीएम ने भारत माता की जय और बंदे मातरम के नारे लगाए और जनता से खूब लगवाए। हालांकि, मोदी के मंच पर पहुंचने से पहले जय श्रीराम के नारे लगभग हर नेताओं ने लगाए थे। तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री दिनेश त्रिवेदी भी मंच पर मौजूद थे। 

 बंगाल की विभूतियों को नहीं भूलते मोदी

पीएम मोदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उल्लेख करते हुए कहा-'मैं बंगाल की उस धरती पर हूं, जिसने मां शारदा देवी, मातंगिनी हाजरा, रानी रासमणि, प्रीतिलता वादेदार, सरला देवी चौधरानी, कामिनी राय जैसी अनेक बेटियां भारत को दीं।' पीएम मोदी अलग-अलग मौके पर स्वामी विवेकानंद का भी जिक्र करते हैं।


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