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कलकत्ता उच्च न्यायालय में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ पोस्टर, हाई कोर्ट के इतिहास में इस तरह की पहली घटना

कलकत्ता उच्च न्यायालय में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को निशाना बनाते हुए पोस्टर लगाया गया है। पोस्टर में लिखा गया है कि माननीय मास्टर ऑफ द रोस्टर को कलकत्ता उच्च न्यायालय के अपीलीय पक्ष के नियमों को जानना चाहिए।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 09:05 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 09:05 PM (IST)
कलकत्ता उच्च न्यायालय में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ पोस्टर

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को निशाना बनाते हुए पोस्टर लगाया गया है। पोस्टर में लिखा गया है कि माननीय मास्टर ऑफ द रोस्टर को कलकत्ता उच्च न्यायालय के अपीलीय पक्ष के नियमों को जानना चाहिए। इसे लेकर हाई कोर्ट हलचल है।

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हाई कोर्ट के वकीलों के एक वर्ग का मानना है कि हाल में हुए कुछ घटनाक्रम के तहत पोस्टर लगाने की घटना के पीछे मुट्ठी भर असंतुष्ट वकील हो सकते हैं। हालांकि किसी वकील के संगठन ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। पोस्टर में किसी व्यक्ति या संस्था के नाम का भी जिक्र नहीं है। वकीलों का कहना है कि संभवतया कलकत्ता हाई कोर्ट के इतिहास में इस तरह की यह पहली घटना है।

पोस्टर में सीधे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को निशाना बनाते हुए लिखा गया है कि माननीय मास्टर ऑफ द रोस्टर को कलकत्ता उच्च न्यायालय के अपीलीय पक्ष के नियमों को जानना चाहिए। उसके बाद लिखा गया है कि लोकतंत्र बचाओ, न्यायपालिका बचाओ।

बताते चलें कि गत दिनों हाई कोर्ट के वकीलों के एक वर्ग ने आरोप लगाया था कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश अपनी इच्छा के अनुसार मामलों की पीठ का गठन कर रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने हाईकोर्ट प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा था। इसके बाद वकीलों एक वर्ग ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अदालत का बहिष्कार भी किया। अब गुरुवार को बिंदल के खिलाफ पोस्टर लगाया गया है। हाई कोर्ट के कुछ वरिष्ठ वकीलों का कहना है कि उच्च न्यायालय में 'मास्टर ऑफ रोस्टर' के तहत मुख्य न्यायाधीश का ही अंतिम निर्णय होता है । उनके पास पीठ के गठन की सर्वोच्च शक्ति है।

हाई कोर्ट की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

-दूसरी ओर कलकत्ता हाई कोर्ट प्रशासन ने मुख्य न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र को लेकर उच्चतम न्यायालय का निर्णय मांगा है। उच्च न्यायालय प्रशासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में यह जानने का प्रयास किया गया है कि न्यायाधीशों के विचारार्थ विषय का निर्धारण कैसे होगा तथा मुख्य न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र का दायरा कहां तक है। इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।


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