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Positive India: खुद दूसरों के घरों में घूम पेट पालने वाली एक किन्नर लॉकडाउन में फंसे लोगों का बनीं सहारा

खुद दूसरों के घरों में घूम कर अपना पेट चलाने वाली एक किन्नर ने लॉकडाउन में फंसे बेसहारा लोगों के लिए मदद का हाथ बढ़ाया।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 09:11 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 09:11 PM (IST)
Positive India: खुद दूसरों के घरों में घूम पेट पालने वाली एक किन्नर लॉकडाउन में फंसे लोगों का बनीं सहारा
Positive India: खुद दूसरों के घरों में घूम पेट पालने वाली एक किन्नर लॉकडाउन में फंसे लोगों का बनीं सहारा

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। खुद दूसरों के घरों में घूम कर अपना पेट चलाने वाली एक किन्नर ने लॉकडाउन में फंसे बेसहारा लोगों के लिए मदद का हाथ बढ़ाया। अपने बाकी जीवन के लिए रखी रकम से उसने एक लाख रूपये की राशि दान में देकर मानवता का परिचय दिया है। पश्चिम बंगाल के हुगली ज़िले की रहने वाली  60 वर्षीय  किन्नर पाखी साव कोरोना के कहर से इन दिनों दो जून की रोटी के लिए तरस रहे लोगों की सहायता के लिए आगे आई है। उसने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रिलीफ फंड में एक लाख एक हज़ार रुपये की राशि प्रदान की है। शुक्रवार को पाखी साव ने एक्सिस बैंक के सिंगुर ब्रांच में जाकर बैंक मैनेजर को एक लाख एक हज़ार रूपये का चेक दिया और बैंक मैनेजर से इस चेक को मुख्यमंत्री रिलीफ फंड में जाम करने का आग्रह किया।

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पाखी साव का कहना है कोरोना के कारण लाॅकडाउन से राज्य के लाखों गरीब लोगों के सामने रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस समय गरीबों के लिए जिस प्रकार से काम कर रही हैं वह काफी सराहनीय है। मुख्यमंत्री की ओर से जनहित में किए जा रहे कार्यों से प्रेरित होकर मैंने उनके रिलीफ फंड में एक लाख एक हज़ार रुपये की राशि दी है। उनका मनना है कि मेरे जैसे साधारण लोगो द्वारा दान दिए जाने से समाज के और भी लोग इस इस काम के लिए आगे आयेंगे। भूखों को रोटी की कितनी जरूरत होती है यह बात मैं अच्छी तरह से समझतीं हूं। क्योंकि ऐसे दौर से मैं कई बार गुज़र चुकी जानती हूं।

पाखी साव का कहना है दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोग दैनिक मजदूरी करके रोजना अपने घरों का चूल्हा जलाते हैं। लेकिन लाॅकडाउन के कारण ऐसे मजदूर पूरी तरह से बेसहारा हो गये हैं। बेसहारों का सहारा बनना ही मानव का परम धर्म है। उनका कहना है कि बुढ़ापे के लिए कुछ रूपये इकट्ठा करके बैंक में रखी थी। उसी राशि में से मैंने गरीबों की मदद के लिए दिया है। इस महामारी में यह राशि देकर मुझें काफ़ी सकुन मिला है।


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