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पीएम की रैली में जुटी भीड़ ने दिए कई संकेत

-सियासी व मौसमीविषम परिस्थिति में भी उमड़ी भारी भीड़ -प्रदेश भाजपा ने भीड़ जुटाने के लिए लगा र

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 03:00 AM (IST)
पीएम की रैली में जुटी भीड़ ने दिए कई संकेत

-सियासी व मौसमीविषम परिस्थिति में भी उमड़ी भारी भीड़

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-प्रदेश भाजपा ने भीड़ जुटाने के लिए लगा रखी थी पूरी ताकत

-भाजपा नेताओं का आरोप रैली में नहीं जाने मिल रही थी धमकी

जागरण संवाददाता, खड़गपुर : एक तरफ सियासत तो दूसरी ओर इंद्रदेव (भारी बारिश) की भी भृकुटी तनी हुई थी। इन सबके बीच पश्चिम मेदिनीपुर जिले के कॉलेज मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा होनी थी। प्रदेश भाजपा नेतृत्व के लिए भीड़ जुटाना लोहे के चने चबाने जैसा था। परंतु, इन सबके बीच पीएम की सोमवार को हुई रैली में जो भीड़ जुटी इसके कई बड़े निहितार्थ निकाले जा सकते हैं। क्योंकि, पीएम की रैली में जुटी भीड़ ने कई संकेत दिए। रैली में हादसा भी हो गया। पंडाल का एक हिस्सा ढह गया, जिसकी चपेट में आने से 44 लोग घायल भी हो गए। बावजूद इसके लोगों ने पीएम की बातें सुनी। कई लोगों के मन में आशंका भी थी कि मोदी की रैली में शामिल होने के बाद कहीं कुछ न हो जाए। इसके बाद भी लोगों का उत्साह कम नहीं दिखा। मीडिया लगातार भीड़ पर कैमरे लगा रखी थी। जहां से मोदी-मोदी का नारा गूंज रहा था। रैली में शामिल लोग सिर पर गेरुआ टोपी व पंट्टी बांध रखे थे। तृणमूल नेताओं की भी नजर बनी हुई थी कि कितनी भीड़ जुटती है। फिर भी कलाईकुंडा एयर बेस से लेकर कॉलेज मैदान तक लोगों का तांता देखा गया।

बंगाल की सियासी खुरेंजी जगजाहिर है। यहां तो बात-बात में राजनीतिक तकरार के दौरान खून-खराबा आम है। क्योंकि, पूर्व में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिसमें लोगों को भाजपा के लिए कार्य करना या फिर रैली में जाने को लेकर मारापीटा गया था। यहां तक कि हत्या के भी आरोप तृणमूल पर लगे थे। सोमवार को भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने रैली के दौरान ही तृणमूल पर आरोप लगाया-'जिलों से आ रहे भाजपा समर्थकों व कार्यकर्ताओं को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। कई कार्यकर्ताओं व समर्थकों को धमकी दी गई। तृणमूल के कुछ नेताओं ने तो खुलेआम कहा था कि पीएम की रैली में जाने वालों पर नजर रखी जाएगी। जिसका सीधा अर्थ था कि पीएम की सभा में नहीं जाएं।' पीएम की सभा की तैयारी का समय भी प्रदेश भाजपा नेतृत्व के पास अधिक नहीं था। बावजूद इसके जंगलमहल के तीन जिले पुरुलिया, पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा के अलावा हावड़ा, हुगली, उत्तर व दक्षिण 24 परगना, नदिया और कोलकाता से कार्यकर्ता पीएम की रैली में पहुंचे थे। इस सियासी व मौसमी विषम परिस्थिति में भी भारी भीड़ को देखकर प्रधानमंत्री का गदगद होना लाजिमी था। यही वजह है कि भीड़ को पीएम ने धन्यवाद देने में कोई कोताही नहीं बरती। भीड़ लाखों में थी या हजारों में इस पर तर्क हो सकता है, लेकिन जिन परिस्थितियों में जितनी भीड़ उमड़ी उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश व बिहार-झारखंड या फिर गुजरात में मोदी की सभा में जुटने वाली भीड़ से इसका कम महत्व नहीं है। भाजपा ऐसे ही खुद को तृणमूल का विकल्प के रूप में पेश नहीं कर रही है।

विरोधी दलों के कार्यकर्ताओं व नेताओं के साथ क्या होता है इसे लेकर वाममोर्चा के शासनकाल से ही बंगाल के सत्तारूढ़ दल पर आरोप लगते रहे हैं। हाल ही में संपन्न पंचायत चुनाव ताजा उदाहरण है। क्योंकि, एक सुर में भाजपा-माकपा और कांग्रेस नेताओं ने तृणमूल पर आतंक राज कायम करने का आरोप लगाया था। पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद भी पुरुलिया में भाजपा के दो पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप भी तृणमूल पर लगा था। हालांकि, यह अब भी प्रमाणित नहीं हुआ है। वहीं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की सभा में भाग लेने के लिए भी मारपीट करने का आरोप तृणमूल पर प्रदेश भाजपा नेताओं ने लगाया था।


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