बंदर ने अपने स्वभाव के विपरीत किया ऐसा मासूम व्यवहार कि लोग उसके कायल हो गए
एक बंदर ने अपने पारंपरिक स्वभाव से उलट मनमोही आचरण से लोगों के दिलों में ऐसी जगह बनाई कि लोग उससे खुद को अलग करने को तैयार नहीं थे।
हावड़ा, जागरण संवाददाता। अच्छा बर्ताव कर आप किसी के भी दिल में जगह बना सकते हैं, चाहे इंंसान हो या कोई अन्य प्राणी। जंगल जीव, बंदर को लेकर आम धारणा है कि ये जहां भी रहते हैं, उत्पात मचाते हैं, परेशान करते हैं।
हालांकि एक बंदर ने अपने पारंपरिक स्वभाव से उलट मनमोही आचरण से लोगों के दिलों में ऐसी जगह बनाई कि लोग उससे खुद को अलग करने को तैयार नहीं थे। हालांकि नियमों के आगे लाचार होकर बंदर के इस नटखट बच्चे को खुद से अलग करना ही पड़ा। उसे वन विभाग को सौंप दिया गया।
उक्त घटना है हावड़ा के जगाछा थाना इलाके के गवर्नमेंट क्वार्टर इलाके की। गुरुवार की सुबह अपने दल से बिछड़कर एक बंदर का बच्चा इलाके में जा घुसा। फिर क्या जनबहुल इलाके में किसी बंदर को देख जो होता है। लोग बंदर के इस बच्चे को देख चिल्लाने लगे, उसके पीछे-पीछे दौड़ने लगे,उसे लक्ष्यकर पत्थर फेंकने लगे। बंदर का बच्चा जहां जाता, वहीं लोग उसे खदेड़ने लगते। इस बीच इलाके के ही एक पशुप्रेमी को इसकी जानकारी मिली। तत्काल वह मौके पर पहुंचा और लोगों को बंदर के बच्चे को परेशान करने से मना किया।
इधर बंदर का बच्चा भी लोगों के रवैये से परेशान था। पशुप्रेमी ने साहस के साथ बंदर के मासूम बच्चे को फल दिया। शायद भूखे बंदर के लिए इससे अच्छा क्या हो सकता था। उसने भी बेहद चाव व शांति के साथ फल को खाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते वहां लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। अब तक बंदर के इस बच्चे को जो लोग परेशान कर रहे थे, उसके प्रति प्रेम व प्यार की भावना से देखने लगे।
भूखे बंदर के बच्चे का पेट भरने के बाद उसके आचरण में आई सकारात्मक बदलाव को देख लोग हैरत में थे। सूरत ऐसी बदली कि अब बंदर का वह नन्हा सा बच्चा, जो थोड़ी देर पहले तक सभी के लिए अनजान था, अब वह सबका प्यारा बन चुका था। उस पशुप्रेमी युवक के इशारे पर वह कभी कूदकर लोगों के कंधे पर जा बैठता, तो कभी सिर पर जा बैठता। लोग भी बंदर के बच्चे के व्यवहार को देख आनंदित थे। अब स्थिति ऐसी हो गई कि उस नन्हे से बंदर के बच्चे से लोग प्रभावित हो गए। बंदर के बच्चे के रवैये से प्रभावित सभी ने मिलकर सोचा कि अब इसे इलाके में ही रखा जाएगा, पाला जाएगा।
हालांकि ऐसा मुमकिन ना था। क्योंकि वन कानून के अनुसार वन्य जीव को आप पालतू नहीं बना सकते। काफी सोच विचार के बाद आखिरकार बंदर के उस मासूम से बच्चे को बेहद ही उदास मन से वन विभाग को सौंप दिया गया। जो भी हो लेकिन इस थोड़े से समय में बंदर के इस बच्चे और इलाके के लोगों के बीच जो प्रेम व लगाव पैदा हुआ शायद ही लोग इसे भूल पाएंगे।
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