बंगाल भर्ती मामले में 8 हजार से अधिक OMR शीट से हुई छेड़छाड़, CBI के हाथ लगे डेटा से मिली जानकारी
भर्ती भ्रष्टाचार की जांच में सीबीआई के अधिकारियों ने एनवाईएसए के कार्यालय पर छापा मारकर डिजिटल डेटा एकत्र किया था। डेटा की जांच करते हुए जांचकर्ताओं ने कहा कि एसएससी के तहत भर्ती प्रक्रिया के दौरान कुल 8163 ओएमआर शीट से छेड़छाड़ की गई थी।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल के शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में जांच कर रही सीबीआई के समक्ष कई चौंकाने वाली जानकारियां आ रही हैं। सीबीआई के सूत्रों मुताबिक, नियुक्ति भ्रष्टाचार में आठ हजार से अधिक परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं (ओएमआर शीट) से छेड़छाड़ की गई है।
अभी तक केवल दो हजार लोगों को नौकरी से बर्खास्त किया गया है, जबकि छह हजार से अधिक लोग अभी भी अवैध नियुक्ति के बावजूद नौकरी कर रहे हैं। गत शुक्रवार को गाजियाबाद से गिरफ्तार नीलाद्रि दास से पूछताछ में ये जानकारियां सामने आई हैं। इसमें मुख्य भूमिका नीलाद्रि की रही है।
नीलाद्रि ओएमआर शीट बनाने वाली इकाई एनवाईएसए का उपाध्यक्ष है। यह सब कुछ उसने एसएससी के तत्कालीन सलाहकार शांति प्रसाद सिन्हा के निर्देश पर किया था। अब शांति प्रसाद ने किसके निर्देश पर ऐसा किया यह स्पष्ट होने पर नियुक्ति भ्रष्टाचार के मास्टरमाइंड का पता चल जाएगा।
8,163 OMR शीट के साथ हुई थी छेड़छाड़
दावा है कि मामले में गिरफ्तार पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के कहने पर सब कुछ हुआ है। भर्ती भ्रष्टाचार की जांच में सीबीआई के अधिकारियों ने गाजियाबाद व नई दिल्ली के अक्षरधाम में एनवाईएसए के कार्यालय पर छापा मारकर डिजिटल डेटा एकत्र किया था।
डेटा की जांच करते हुए जांचकर्ताओं ने कहा कि एसएससी के तहत भर्ती प्रक्रिया के दौरान कुल 8,163 ओएमआर शीट से छेड़छाड़ की गई थी। इसमें से ग्रुप डी के 2,823, ग्रुप सी 3,481, 11वीं-12वीं के 907 और शेष 952 नौवीं-दसवीं के ओएमआर शीट हैं।
सूत्रों के मुताबिक, नीलाद्रि और शांति प्रसाद से आमने-सामने पूछताछ की जा सकती है। नीलाद्रि से शांति प्रसाद के संपर्क के सबूत सीबीआई को पहले ही मिल चुके हैं। इस बीच यह पता चला है कि यह पहली बार नहीं है जब दास को गिरफ्तार किया गया है। मार्च 2019 में पूर्वी मेदिनीपुर जिले में उसके खिलाफ दर्ज एक प्राथमिकी के बाद जालसाजी के एक मामले में बंगाल पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (CID) के अधिकारियों ने उसे गिरफ्तार किया था। बाद में उसे जमानत मिल गई थी।