West Bengal: 98 साल की वृद्धा ने दी कैंसर को मात
Cancer. डॉक्टरों का कहना था कि इलाज का एकमात्र रास्ता ऑपरेशन है लेकिन 98 साल की वृद्धा को बेहोश कर ऑपरेशन करना बहुत ही जोखिम भरा कार्य था।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Cancer. एक 98 साल की वृद्धा ने अपने अदम्य साहस से कैंसर को मात दी है। उसके हौसले से डॉक्टर से लेकर नर्स तक तथा परिवार वाले सभी अचंभित हैं। वृद्धा के चेस्ट वॉल के चमड़े में कैंसर हुआ था और उसका एकमात्र इलाज ऑपरेशन था। हालांकि कई सरकारी तथा गैर सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर इस उम्र में ऑपरेशन करने का जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं थे। आखिर वृद्धा के साहस पर महानगर के एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने जोखिमभरा सफल ऑपरेशन किया। फिलहाल, वृद्धा स्वस्थ है।
पूर्व वर्द्धमान के सुहारी ग्राम की रहने वाली 98 वर्षीय शंकरीबाला दे के चेस्ट वाल के चमड़े में कुछ दिन पहले कैंसर का पता चला। हालांकि वर्द्धमान मान मेडिकल कालेज एंड हॉस्पिटल में जब इस जानलेवा बीमारी का पता चला, तब तक वह काफी फैल चुका था। डॉक्टरों का कहना था कि इलाज का एकमात्र रास्ता ऑपरेशन है, लेकिन 98 साल की वृद्धा को बेहोश कर ऑपरेशन करना बहुत ही जोखिम भरा कार्य था। जिसके कारण डॉक्टर राजी नहीं हुए। इसके बाद वृद्धा के परिजन कई बड़े डॉक्टरों तथा गैर-सरकारी अस्पतालों की ओर मुखातिब हुए। सभी का एक ही मत था ऑपरेशन, लेकिन कोई भी इसका जोखिम उठाने को तैयार नहीं था।
इसके बाद वृद्धा को महानगर स्थित सागर दत्त मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां गत शुक्रवार को वृद्धा के अदम्य साहस पर सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डा मानस गुमटा व सहायक प्रोफेसर अमितेश झा इस जोखिम भरे ऑपरेशन के लिए तैयार हुए तथा उन्होंने दो घंटे के भीतर इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया। डॉक्टरों का कहना था कि वह वृद्धा के हौसले को सलाम करते हैं क्योंकि उसी के बदौलत उन्होंने ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। ऑपरेशन के बाद वृद्धा सभी रिपोर्ट सही है तथा फिलहाल वह घर लौट आई हैं। वृद्धा घर का कामकाज भी कर रही हैं। मुहल्ले वाले भी वृद्धा के जज्बे से हैरान हैं।