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Bengal coronavirus: बंगाल में कोरोना के 20 मरीजों के लिए महज एक डॉक्टर, आइएमए की कोलकाता शाखा के उपाध्यक्ष ने किया खुलासा

बंगाल में कोरोना के 20 मरीजों के लिए महज एक डॉक्टर उपलब्ध है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) की कोलकाता शाखा के उपाध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार नेमानी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा-बंगाल में करीब 82000 पंजीकृत डॉक्टर हैं।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 22 May 2021 05:07 PM (IST)Updated: Sat, 22 May 2021 05:07 PM (IST)
Bengal coronavirus: बंगाल में कोरोना के 20 मरीजों के लिए महज एक डॉक्टर, आइएमए की कोलकाता शाखा के उपाध्यक्ष ने किया खुलासा
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) की कोलकाता शाखा के उपाध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार नेमानी

विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता : बंगाल में कोरोना के 20 मरीजों के लिए महज एक डॉक्टर उपलब्ध है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) की कोलकाता शाखा के उपाध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार नेमानी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा-'बंगाल में करीब 82,000 पंजीकृत डॉक्टर हैं। इस समय उनमें से लगभग 40,000 डॉक्टर सक्रिय रूप से कोरोना के मरीजों के इलाज में जुटे हुए हैं। बंगाल में अभी आधिकारिक तौर पर कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या 1,32,000 से अधिक है जबकि अनाधिकारिक तौर पर ढेरों मरीजों का घर में इलाज चल रहा है। डाक्टर इस आपात स्थिति में तीन शिफ्टों में काम कर रहे हैं। प्रत्येक शिफ्ट में वे कम से कम छह मरीजों को देख रहे हैं। इस तरह से एक डॉक्टर औसतन कोरोना के 20 मरीजों का इलाज कर रहा हैं।'

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बंगाल में कोरोना से डॉक्टरों की बढ़ती मौतों पर डॉ. नेमानी ने कहा-'बंगाल में कोरोना की दूसरी लहर बेहद तेजी से आई, जिसके फलस्वरूप कोरोना के मरीज भी उतनी ही तेजी से बढ़ गए और उनका इलाज करने वाले डॉक्टर भी इसकी चपेट में आ गए। महाराष्ट्र और दिल्ली में जहां कोरोना के मामले कम होने शुरू हो गए हैं, वहीं बंगाल में इसका ग्राफ अभी भी बढ़ रहा है। एक बड़ी वजह बंगाल में स्वास्थ्य संबंधी आधारभूत व्यवस्था की बदतर हालत भी है।' गौरतलब है कि बंगाल में कोरोना से अब तक 142 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है  जबकि इसकी दूसरी लहर में 37 डॉक्टरों की जानें गई हैं। दूसरी लहर में देशभर में 329 डॉक्टरों की मौत हुई है। इससे डॉक्टर और कोरोना के मरीजों का अनुपात दिन-ब-दिन बिगड़ता जा रहा है।

उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत के राज्यों की स्थिति बेहतर

डॉ. नेमानी ने आगे कहा-'उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत के राज्यों की स्थिति स्वास्थ्य संबंधी आधारभूत संरचना के मामले में काफी बेहतर है इसलिए वहां कोरोना से मृत्यु दर भी कम है। दक्षिण भारत में चिकित्सा शिक्षा का तेजी से विस्तार हुआ है। कर्नाटक व केरल जैसे राज्यों में जितने मेडिकल ग्रेजुएट निकलते हैं, उससे दुगने आकार का राज्य होने के बावजूद बंगाल में उतने मेडिकल ग्रेजुएट नहीं निकलते। केरल में 22 मेडिकल कॉलेज हैं जबकि उससे बड़ा राज्य होने के बावजूद बंगाल में 16 मेडिकल कॉलेज हैं। उत्तर भारत के राज्यों में बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान और  उत्तर प्रदेश की स्थिति सबसे खराब है। सबसे बुरी हालत में बिहार है। पटना, भागलपुर, आरा और जहानाबाद में हालात बेहद गंभीर हैं।'

कोरोना से मृत सभी डॉक्टरों के परिजनों को बीमा योजना का लाभ मुहैया कराएं केंद्र व बंगाल सरकार

डॉ. नेमानी ने आगे कहा-'पिछले साल केंद्र व बंगाल सरकार की तरफ से कोरोना के मरीजों के इलाज के दौरान संक्रमित होकर मौत का शिकार होने वाले डॉक्टरों व चिकित्साकर्मियों के परिवारों के लिए क्रमश: 50 लाख व 10 लाख रुपये की बीमा योजना की घोषणा की गई थी लेकिन अब तक उसे ठीक तरीके से लागू नहीं किया गया है। हमें जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से देशभर में कोरोना की चपेट में आकर मारे गए डॉक्टरों में से अब तक केवल 76 के परिजनों को बीमा का लाभ मिला है जबकि बंगाल सरकार की ओर से अब तक किसी को भी बीमा की राशि नहीं दी गई है।'


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