Bengal Assembly Elections 2021: विधानसभा चुनाव में बंगाल में बढ़ सकती है बूथों की संख्या
बिहार चुनाव के अनुभव का बंगाल में होगा उपयोग -बिहार में चुनाव समाप्त हो चुका है। ऐसे में अब भारतीय निर्वाचन आयोग धीरे-धीरे अपना ध्यान बंगाल की ओर बढ़ा रहा है जहां अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद जताई जा रही है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) कार्यालय की ओर से तैयारियों पर चर्चा जारी है। इसके साथ ही साथ कोरोना काल में किस प्रकार से चुनाव कराए जाएंगे, यह भी बड़ी चुनौती होगी। बिहार में हुए विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया के कई पहलुओं को बंगाल में भी संभवतः लागू किया जा सकता है। सीईओ कार्यालय सूत्रों की मानें तो अस्थायी बूथों की संख्या राज्य में 41 से 43 फीसद तक बढ़ायी जा सकती है। माना जा रहा है कि बंगाल में यदि बूथों की संख्या बढ़ाई जाती है, तो वह स्थायी नहीं होगी। यह बूथों की संख्या ऑक्जीलरी बूथ ही होगी।
बिहार चुनाव के अनुभव का बंगाल में होगा उपयोग -बिहार में चुनाव समाप्त हो चुका है। ऐसे में अब भारतीय निर्वाचन आयोग धीरे-धीरे अपना ध्यान बंगाल की ओर बढ़ा रहा है, जहां अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद जताई जा रही है। चुनाव आयोग के सूत्रों की मानें तो जमीनी स्तर पर काम भी चल रहा है। एक अधिकारी ने कहा कि दरअसल, अब हमारे सामने बिहार विधानसभा चुनाव एक मॉडल के रूप में सामने है। ऐसे में हमारी कोशिश होगी कि बिहार में जो अनुभव हुआ है, उसका उपयोग किया जाए। इससे बंगाल में चुनाव कराने में काफी मदद मिल सकेगी।
वर्तमान समय में बंगाल में बूथों की संख्या 78903 है
राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के साथ ही इस बार कोरोना वायरस महामारी भी बड़ी चुनौती है। सूत्रों का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से एक बूथ में मतदाताओं की संख्या सीमित होगी, ऐसे में बूथों के पुनर्गठन के कदम पर पहले से ही काम चल रहा है। संभवतः यह काम पूरा किया जा चुका है। सूत्रों की मानें तो करीब 99 बूथ बढ़े हैं। वर्तमान समय में बंगाल में बूथों की संख्या 78903 है। सितंबर में यह संख्या 78804 थी।
लोकसभा चुनाव के दौरान बूथों की संख्या 78799 थी। मतदान के अनुसार ही चुनाव आयोग ऑक्जीलरी बूथ तैयार करता है। मतदान के बाद इन बूथों का अस्तित्व नहीं रहता है। बूथ पर कितने मतदाता होंगे, यह एक चर्चा का विषय है। चुनाव के दौरान मतदाताओं की सुरक्षा सहित अन्य मुद्दे भी प्रमुख होंगे। यही वजह है कि अभी से इन पर प्राथमिक चर्चाएं जारी हैं।