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Narada Sting Operation: मामले में अब बंगाल विधानसभा अध्यक्ष के साथ CBI का टकराव

नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में अब बंगाल विधानसभा अध्यक्ष के साथ सीबीआइ की टकराव स्थिति बन गई है। स्टिंग ऑपरेशन की चार्जशीट दाखिल करने में हो रहे विलंब को लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी ने विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति नहीं मिलने को ठहराया जिम्मेदार।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 04:40 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 06:01 PM (IST)
Narada Sting Operation: मामले में अब बंगाल विधानसभा अध्यक्ष के साथ CBI का टकराव
नारद मामले में अब बंगाल विधानसभा अध्यक्ष के साथ सीबीआइ का टकराव

कोलकाता, राज्य ब्यूरो।  अब नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में बंगाल सरकार के साथ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) के टकराव स्थिति बन गई है। स्टिंग ऑपरेशन की चार्जशीट दाखिल करने में हो रहे विलंब को लेकर सीबीआइ ने विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति नहीं मिलने को जिम्मेदार ठहराया है। दरअसल वर्ष 2016 के बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले बहुचर्चित नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में कांग्रेस नेता अमिताभ चक्रवर्ती ने सीबीआइ की ओर से चार्जशीट दाखिल करने में हो रहे विलंब को लेकर  हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में मंगलवार को सुनवाई हुई।

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कोर्ट ने पूछा कि आखिर सीबीआइ ने अभी तक नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में चार्जशीट दाखिल क्यों नहीं की है। इस पर जांच एजेंसी के अधिवक्ता ने बताया कि इस स्टिंग ऑपरेशन मामले में कई विधायक और सांसद शामिल हैं। उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति की जरूरत है। इसके लिए अनुमति मांगी गई है लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिली है। सीबीआइ के अधिवक्ता के अनुमति मांगने के दावे के बाद राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता  ने बताया कि विधानसभा के सचिव के पास इस तरह का कोई आवेदन सीबीआइ ने नहीं किया है।

याचिकाकर्ता अमिताभ चक्रवर्ती की ओर से अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने न्यायालय को बताया कि सीबीआइ इस मामले में बिना लोकसभा अध्यक्ष अथवा विधानसभा अध्यक्ष के अनुमति के भी चार्जशीट दाखिल कर सकती है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह के आदेश दिए हैं। इस पर सीबीआइ के अधिवक्ता ने बताया कि संवैधानिक नियमों के मुताबिक सांसदों के खिलाफ चार्जशीट के लिए लोकसभा अध्यक्ष और विधायकों के खिलाफ चार्जशीट के लिए विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति जरूरी है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि अनुमति लेने संबंधी प्रक्रिया के तहत सीबीआइ ने जो कदम उठाये हैं, उसके संबंध में हलफनामा के साथ दो सप्ताह के भीतर कोर्ट को अवगत कराये।

तृणमूल के तत्कालीन एक दर्जन नेता कैमरे के सामने रिश्वत लेते देखे गए थे

-2016 विधानसभा चुनाव से पहले स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो सामने आया था, जिसे नारद न्यूज़ पोर्टल के सीईओ मैथ्यू सैमुअल ने शूट किया था। वीडियों में तृणमूल कांग्रेस के एक दर्जन नेता कथित रूप से कैमरे पर रिश्वत लेते देखे गए थे। सीबीआइ और ईडी ने तब मामले की जांच शुरू की थी। ईडी ने सीबीआइ की शिकायत में कथित मनी लांड्रिंग में 13 लोगों के  खिलाफ मामला दर्ज किया था।

इन 13 लोगों में मदन मित्रा, मुकुल रॉय, सौगत रॉय, सुलतान अहमद (2017 में निधन), इकबाल अहमद, काकोली घोष दस्तीदार, प्रसून बंदोपाध्याय, सुवेंदु अधिकारी, शोभन चटर्जी, सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हकीम, अपरूपा पोद्दार और आइपीएस अधिकारी सैयद हुसैन मिर्जा का नाम शामिल था। हालांकि इनमें तृणमूल कांग्रेस के तत्कालीन तीन नेता मुकुल राय, शोभन चटर्जी व सुवेंदु अधिकारी फिलहाल भाजपा में शामिल हो गए हैं।


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