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Violence in Bengal: बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच को हाईकोर्ट के निर्देश पर एनएचआरसी ने बनाई कमेटी

कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की एनएचआरसी को जांच के निर्देश दिए हैं जिसके बाद अब आयोग के अध्यक्ष रिटायर जस्टिस अरुण मिश्रा ने कोर्ट के आदेशों के अनुसार हिंसा की शिकायतों की जांच के लिए सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 07:19 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 07:19 PM (IST)
सात सदस्यीय कमेटी में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, महिला आयोग, बंगाल मानवाधिकार आयोग के भी सदस्य शामिल।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(एनएचआरसी) को जांच के निर्देश दिए हैं, जिसके बाद अब आयोग के अध्यक्ष रिटायर जस्टिस अरुण मिश्रा ने कोर्ट के आदेशों के अनुसार बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा की शिकायतों की जांच के लिए सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद, राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य राजुलबेन एल देसाई, बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार पांजा एनएचआरसी सदस्य राजीव जैन की अध्यक्षता में बनाई गई है।

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दरअसल, पिछले सप्ताह शुक्रवार को कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने टिप्पणी करते हुए बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा पर ममता सरकार की भूमिका पर सवालिया निशाना लगाए, जिसके बाद पीठ ने इन हिंसा की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही बंगाल सरकार को गठित कमेटी का सहयोग करने के लिए भी कहा। हालांकि इस निर्देश पर पुनर्विचार के लिए ममता सरकार की ओर से हाई कोर्ट में अपील की गई थी लेकिन उसे सोमवार को पांच जजों की पीठ ने खारिज कर दिया।

इसके बाद एनएचआरसी के अध्यक्ष ने कमेटी गठित कर दी। वहीं बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ इस हिंसा पर कहा कि मैं यह देखकर स्तब्ध हूं कि चुनाव समाप्त होने के सात सप्ताह बाद भी इस गंभीर स्थिति की अनदेखी की जा रही है। आजादी के बाद चुनाव के बाद यह सबसे बर्बर हिंसा है।

बता दें कि बंगाल चुनाव के परिणाम आने के बाद वहां जमकर हिंसा की खबरें आई, जिसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर पांच जजों की पीठ ने 18 जून को सुनवाई की। इस दौरान बेंच ने राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोग के काम पर नाखुशी जताई और कहा कि चुनाव खत्म हो चुके हैं, लोगों को शांति से जीने का अधिकार है।


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