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cyclone amphan: एनडीआरएफ के प्रमुख एसएन प्रधान बोले-विकसित करने होंगे चक्रवात रोधी ढांचे

एनडीआरएफ के प्रमुख एसएन प्रधान बोले एम्फन से यह सीख मिली है कि हम और जोखिम नहीं ले सकते। गांवों में खासकर तटीय क्षेत्रों में चक्रवात रोधी ढांचे बनाने होंगे।

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 08:20 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 08:20 PM (IST)
cyclone amphan: एनडीआरएफ के प्रमुख एसएन प्रधान बोले-विकसित करने होंगे चक्रवात रोधी ढांचे
cyclone amphan: एनडीआरएफ के प्रमुख एसएन प्रधान बोले-विकसित करने होंगे चक्रवात रोधी ढांचे

राज्य ब्यूरो, कोलकाताः एनडीआरएफ के प्रमुख एसएन प्रधान ने कहा है कि बंगाल और ओडिशा के कुछ हिस्सों में तबाही मचाने वाले चक्रवात 'एम्फन' से सबक मिला है कि राज्य ग्रामीण इलाकों में आधारभूत संरचना को बेहतर बनाएं और आपदा से निपटने को शीर्ष प्राथमिकता में रखे। प्रधान ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के साथ प्राकृतिक आपदा अब अक्सर हो रही हैं। खासकर तटवर्ती क्षेत्रों में आधारभूत संरचना को बेहतर बनाकर ही जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चक्रवात 'एम्फन' से यह सीख मिली है कि हम और जोखिम नहीं ले सकते। गांवों में खासकर तटीय क्षेत्रों में चक्रवात रोधी ढांचे बनाने होंगे। 

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भूमिगत बिजली लाइन बिछाने होंगे 

प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी आवास योजनाओं में चक्रवात रोधी डिजाइन को शामिल करना होगा। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक ने बताया कि ग्रामीण और तटीय स्थानों पर भूमिगत बिजली लाइन डालने की जरूरत है। बंगाल में चक्रवात 'एम्फन' के कारण 86 लोगों की मौत हो गयी और लाखों लोग बेघर हो गए। तूफानी हवाओं और जोरदार बारिश के कारण कच्चे मकान गिर गए। हजारों पेड़ उखड़ गए और बिजली के खंभों को भी नुकसान पहुंचा। पड़ोसी राज्य ओडिशा के तटीय जिलों में 45 लाख लोग इस चक्रवात से प्रभावित हुए और बड़ी संख्या में मकानों को नुकसान हुआ। प्रधान ने बताया कि बंगाल के आपदा प्रभावित जिलों में सड़कों से मलबा हटाने का 90 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। राज्य में एनडीआरएफ की कुल 38 टीमें काम में जुटी हैं। कोलकाता में 19 टीमें काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि गांवों और पास के कस्बों से जोड़ने वाली सड़कों से मलबा हटा दिया गया है। 

दो दिनों में जन-जीवन हो जाएगा सामान्य 

प्रधान ने कहा कि एक दो दिनों में राज्य में जन-जीवन सामान्य हो जाएगा। महानिदेशक ने बताया कि कोविड-19 महामारी ने लोगों को सुरक्षित पहुंचाने और जान बचाने में चुनौती को बढ़ा दिया। उन्होंने कहा,‘मैं मानता हूं कि यह बहुत कठिन था। लोगों को गांवों से सुरक्षित शिविरों में ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था और वे ऐसी स्थिति में नहीं थे कि इस कठिन समय में शारीरिक दूरी का पालन कर पाएं।’ हालांकि, प्रधान ने कहा कि आश्रय स्थलों को संक्रमण मुक्त बनाने का काम किया गया, लोगों को छोटे-छोटे समूह में बांटा गया और सबको एक-दूसरे से शारीरिक दूरी बनाए रखने और मास्क पहनने को कहा गया। हमारा पहला लक्ष्य लोगों को खतरे से बचाना फिर महामारी के नियमों का पालन करना था। एनडीआरएफ के एक कर्मी के संक्रमित पाए जाने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह इक्का-दुक्का मामला है और चिंता की बात नहीं है, क्योंकि बल में जनवरी से ही इसके लिए कदम उठाए गए हैं।


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