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जानें, आरडी बर्मन की जयंती पर कुछ अनजानी बातें...संगीत पहला तो फुटबॉल दूसरा प्यार था पंचम दा का

पंचम दा' के नाम से मशहूर आरडी बर्मन फुटबाल के बहुत बड़े दीवाने थे। संगीत अगर उनका पहला प्यार था तो फुटबॉल बेशक दूसरा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 27 Jun 2018 11:01 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jun 2018 01:13 PM (IST)
जानें, आरडी बर्मन की जयंती पर कुछ अनजानी बातें...संगीत पहला तो फुटबॉल दूसरा प्यार था पंचम दा का
जानें, आरडी बर्मन की जयंती पर कुछ अनजानी बातें...संगीत पहला तो फुटबॉल दूसरा प्यार था पंचम दा का

कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। कहते हैं कि फुटबाल बंगालियों के खून में है, चाहे आम हो या खास। फिर भला महान संगीतकार राहुल देव (आरडी) बर्मन इससे अछूते कैसे रह सकते थे। 'पंचम दा' के नाम से मशहूर आरडी बर्मन फुटबाल के बहुत बड़े दीवाने थे। संगीत अगर उनका पहला प्यार था तो फुटबॉल बेशक दूसरा।

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आरडी बर्मन का परिवार मूल रूप से बांग्लादेश के कुमिल्ला जिले का रहने वाला था इसलिए वे ईस्ट बंगाल फुटबाल क्लब के बहुत बड़े समर्थक थे। आरडी बर्मन अपनी टीम का कोई भी मैच देखना नहीं भूलते थे।

कोलकाता में होने पर वे स्टेडियम जाकर मैच देखते थे। इतना ही नहीं, उनकी टीम जब भी चिर-प्रतिद्वंदी मोहनबगान पर जीत दर्ज करती थी तो वे इसका जमकर जश्न मनाते थे। अपने मित्रों एवं संगीत जगत से जुड़े लोगों को शानदार पार्टियां दिया करते थे।

पिछले 18 वर्षों से आरडी बर्मन के संगीत से सजी फिल्मों के पोस्टर संग्रह कर रहे सुदीप्त चंद ने उनसे जुड़ी ये अनकही बातें साझा की। बुधवार को आरडी बर्मन की 80वीं जयंती के उपलक्ष में उन्होंने महानगर के आइसीसीआर में उनके फिल्मी पोस्टरों को लेकर 'पंचमनामा' नामक प्रदर्शनी लगाई है।

सुदीप्त ने आगे बताया-'आरडी बर्मन के संगीतकार पिता एसडी बर्मन भी फुटबाल के मुरीद थे। वे ईस्ट बंगाल क्लब के सम्मानित सदस्य थे। क्लब के मैचों के लिए स्टेडियम में उनके नाम पर कई सीटें बुक रहती थीं। मैच देखने जाने के लिए वे कई बार गानों की रिकार्डिंग तक रद कर दिया करते थे।'

सुदीप्त ने बताया-'आरडी बर्मन कोलकाता के सदर्न पार्क स्थित आवास में रहते थे। पढ़ाई में उनका जरा भी मन नहीं लगता था। यही वजह थी कि उन्हें बालीगंज गर्वन्मेंट स्कूल से निकाल दिया गया था। इसके बाद उनका देशप्रिय पार्क स्थित तीर्थपति इंस्टीट्यूशन में दाखिला हुआ। वे स्कूल के संगीत कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया करते थे।

जब स्कूल से निकाल दिया गया था आरडी बर्मन को

उन्होंने खुद से माउथ आर्गन बजाना सीखा था और तबले की पहली तालीम ब्रजेन विश्वास से ली थी, जो उनके पिता की संगीत टीम के सदस्य थे। आरडी बर्मन अच्छे तैराक और साइक्लिस्ट भी थे। वे महानगर के ढाकुरिया इलाके में स्थित एंडरसन क्लब में तैराकी का अभ्यास किया करते थे।

पंचम को पहली फिल्म

पंचम को पहली फिल्म मिलने का किस्सा भी बड़ा रोचक और अलहदा है। कहते हैं महमूद अपनी फिल्म 'छोटे नवाब' के लिए बतौर संगीत निर्देशक साइन करने पंचम के पिता और उस वक्त के नामचीन संगीतकार सचिन देव बर्मन के पास पहुंचे, वह उस समय एक अन्य फिल्म में व्यस्त थे, सो महमूद के बहुत इसरार करने पर भी फिल्म के लिए हां न कह सके। इसी बातचीत के दरम्यान वहां बैठे नन्हें पंचम को महमूद ने मगन होकर तबले बजाते देखा। उन्होंने आव देखा न ताव तुरन्त अपनी फिल्म छोटे नवाब के लिए बतौर म्यूजिक कंपोजर साइन कर लिया। और इस तरह नन्हे पंचम को 9 बरस की उम्र मिल गई उनकी पहली पिक्चर। 'सर जो तेरा चकराए' गीत की कम्पोजिशन भी पंचम ने 9 बरस की उम्र में ही बनाई थी, जिसे आगे चलकर उनके पिता ने गुरुदत्त स्टार प्यासा मे इस्तेमाल किया।

संगीत का सफर

चलती का नाम गाड़ी,कागज़ के फ़ूल,तेरे घर कर सामने,बंदिनी, जिद्दी,गाइड उस दौर की चन्द यादगार फिल्में थीं, जिनमें पंचम ने बतौर सहायक संगीत निर्देशक काम किया। बतौर संगीत निर्देशक उनकी पहली फिल्म 'राज' थी, जिसे गुरुदत्त के सहायक रहे निरंजन धवन जी ने निर्देशित किया था।

गुरुदत्त औऱ वहीदा रहमान स्टारर  इस फिल्म के लिए पंचम ने दो गाने रिकॉर्ड किये। जिसमें से एक गाना आशा भोंसले और गीता दत्त ने और शमशाद बेगम ने स्वरबद्ध किया। अपने गीतों में यादों और वादों में खास तवज्जो देने वाले पंचम ने निजी जीवन मे भी इस परंपरा का निर्वाह किया।

उन्होंने बतौर संगीत निर्देशक पहली हिट फिल्म मिलने का श्रेय हमेशा बतौर गीतकार जीवित किवदंती रहे मजरूह सुल्तानपुरी को दिया। जिन्होंने पंचम का नाम फिल्म के लिए, फ़िल्म के निर्दशक नासिर हुसैन को सुझाया था।

शताब्दी की सातवां दशक पंचम के करियर का स्वर्णकाल

बॉलीवुड में कई दिलों के मिलने की कहानियां फेमस हुईं। इन कहानियों में एक ऐसी प्रेम कहानी भी है जिसे हर दौर में याद किया जाता है और वह है 'पंचम दा (आर डी बर्मन) और आशा भोंसले' की म्यूजिकल प्रेम कहानी। उम्र की सीमा भी दोनों के बीच के प्यार को रोक नहीं सकी और दुनिया की परवाह किए बिना दोनों एक हो गए। जब उन दोनों की मुलाकात हुई थी उस वक्त पंचम दा और आशा भोंसले दोनों की ही पहली शादी टूटी थी। एक तरफ जहां पंचम दा अपनी पहली पत्नी रीता पटेल से अलग हुए थे वहीं आशा अपने पति गनपतराव भोंसले से अलग हुईं थीं। कहा जाता है कि पंचम दा के म्यूजिक पर आशा भोंसले की आवाज एकदम फिट बैठती थी। दोनों ने साथ में कई हिट गाने भी दिए।

1980 के समय दोनों के करीब आने की खबर फैलने लगी। इस खबर के साथ ही समाज में इस प्रेमी जोड़े की आलोचना भी शुरू हो गई। इसका एक बड़ा कारण था आशा का पंचम दा से 6 साल बड़ा होना। लेकिन दोनों ने किसी की नहीं सुनी और आपस में शादी कर ली। बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि पंचम दा और आशा भोंसले में संगीत के अलावा एक और चीज कॉमन थी। पंचम दा और आशा भोसले दोनों को ही खाना बनाना बहुत पसंद था। दोनों के बीच अकसर इस बात पर एक मीठी सी तकरार होती थी कि कौन ज्यादा अच्छा खाना बनाएगा। इस लड़ाई से दोनों के बीच और भी प्यार बढ़ता गया। 

शताब्दी की सातवां दशक पंचम के करियर का स्वर्णकाल था। यही वो वक्त था जब पंचम दा रामपुर का लक्ष्मण, यादों की बारात,पड़ोसन जैसी हिट फिल्में दे रहे थे। इस दौर में उनकी शोहरत का आलम यह था कि म्यूजिकल हिट आराधना के सुपर हिट गीत 'मेरे सपनों की रानी', जिसकी कम्पोजिशन उनके पिता सचिन देव बर्मन ने बनाई थी,को लम्बे वक्त तक पंचम की ही रचना माना गया। 4 जनवरी,1994 वह दिन था जब इस महान रचनाकार ने अपनी देह त्यागी।

प्रदर्शनी में कई दुर्लभ फिल्मी पोस्टर

पंचमनामा के बारे में 37 वर्षीय सुदीप्त ने बताया-'प्रदर्शनी में आरडी बर्मन के संगीत से सजी 60 फिल्मों के पोस्टर लगाए गए हैं। इनमें कई दुर्लभ हैं। आरडी बर्मन की 1961 में प्रदर्शित पहली फिल्म 'छोटे नवाब' से लेकर उनके निधन के बाद 1994 में आई '1942 ए लव स्टोरी' तक के पोस्टर यहां देखने को मिलेंगे। इसके अलावा द ग्रेट गैम्बलर, शालीमार, द बर्निंग ट्रेन, अंगूर, सनम तेरी कसम, बाम्बे टू गोवा, बालिका वधू, महाचोर, संजोग, बेताब, सीता और गीता, नमक हराम, जोशीला जैसी मशहूर फिल्मों के पोस्टर शामिल हैं।

मैंने ये पोस्टर कालेज के जमाने से फिल्म वितरकों एवं फिल्मी पोस्टर बेचने वालों से संग्रह करना शुरू किया था। मेरे पास आरडी बर्मन की फिल्मों के कुल 130 पोस्टर हैं। ये पोस्टर लिथोग्राफिक प्रिंट में हैं।'

गौरतलब है कि पंचमनामा 30 जून तक चलेगा। बुधवार को आरडी बर्मन की जयंती पर सदर्न एवेन्यू स्थित उनकी प्रतिमा पर अमित कुमार फैंस क्लब की ओर से माल्‍यापर्ण किया जाएगा। 


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