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मुकुल ने झंडा बदला, पर नहीं बदली भूमिका

............ राज्य ब्यूरो, कोलकाता : वाममोर्चा के 34 वषरें के शासन का अंत करने का

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 02:59 AM (IST)Updated: Sun, 17 Dec 2017 02:59 AM (IST)
मुकुल ने झंडा बदला, पर नहीं बदली भूमिका
मुकुल ने झंडा बदला, पर नहीं बदली भूमिका

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राज्य ब्यूरो, कोलकाता : वाममोर्चा के 34 वषरें के शासन का अंत करने का श्रेय भले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जाता है, लेकिन इसमें कभी उनके सेकेंड-इन-कमान रहे मुकुल राय की भूमिका भी कम नहीं थी। अब मुकुल ने भगवा झंडा थाम लिया है। पार्टी बदलने के बावजूद मुकुल की भूमिका नहीं बदली है। भाजपा में भी वे अपने पुराने किरदार में है यानी तृणमूल कांग्रेस में जोड़-तोड़ से लेकर चुनाव के समय रणनीति तय करने तक वे जो काम करते थे, वही काम कुछ दमदार तरीके से यहां भी कर रहे हैं। सबंग उपचुनाव और पंचायत चुनाव में मुकुल की दमदार किरदार को देखकर प्रदेश भाजपा नेताओं को भी अब ईष्र्या होने लगी है।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने तो मुकुल को नियंत्रण में रखने के लिए कोशिशें भी शुरू कर दी है। घोष ने कहा है कि वे बंगाल भाजपा के नेता हैं। बंगाल भाजपा को वे चलाते हैं। चुनाव में रणनीति तय करने से लेकर पार्टी को सांगठनिक स्थिति मजबूत करने का काम वे खुद करते हैं। घोष ने मुकुल का नाम नहीं लेते हुए यहां तक कह दिया है कि कोई आर्थिक घोटाले में फंसता है तो भाजपा उसकी जिम्मेदारी नहीं ले सकती। घोष का यह बयान राजनीतिक मायने रखता है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि मुकुल सारधा चिटफंड घोटाले से लेकर नारद स्टिंग कांड में फंसे हैं। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मुकुल की सांगठनिक क्षमता का इस्तेमाल बंगाल के चुनावों में करना चाहता है लेकिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जिस तरह अपनी टीम के साथ डटे हैं, उसमें मुकुल भगवा पार्टी पर अपनी छाप छोड़ने में सफल होंगे, इसमें संदेह है।

मुकुल ने मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय के समक्ष भाजपा द्वारा आयोजित सभा में जोरदार भाषण देकर राजनीतिक माहौल गरमा दिया है। सबंग उपचुनाव को लेकर मुकुल ने अपने भाषण में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी को धमकी देने के साथ ही सीधे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी निशाने पर लिया। मुकुल ने कहा कि 2011 में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के नेता के रूप में इसी जगह पर माकपा के आतंक को चुनौती दी थी। राज्य में राजनीतिक बदलाव तो हुआ लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था और खराब हो गई। अब भाजपा नेता के रूप में वह तृणमूल के आतंक को चुनौती दे रहे हैं। सबंग विधानसभा उपचुनाव के दौरान यदि तृणमूल बाहरी लोगों को इलाके में प्रवेश कराती है तो भाजपा भी इसका करारा जवाब देगी।

मुकुल की बात से साफ है कि तृणमूल राज्य सरकार और प्रशासन के सहयोग से चुनाव में धांधली करती है। यह बात दूसरी है कि मुकुल भी कभी इसका हिस्सा हुआ करते थे और अब वे अपनी क्षमता भाजपा के लिए इस्तेमाल करेंगे। अब देखना है कि भगवा चोला में मुकुल भाजपा के केसरिया रंगमंच पर अपनी पुरानी भूमिका से छाप छोड़ने में कितना सफल होते हैं।


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