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बंगाल के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी के खिलाफ एमपी-एमएलए अदालत ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट

मंत्री को16 नवंबर तक सरेंडर करने को कहा गया 25 साल पहले एक बस चालक को मारने-पीटने का मामलामुखर्जी ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा- मामला करीब 25 साल पुराना है।उस वक्त मैं आइएनटीयूसी का राज्य अध्यक्ष था। मैं खुद कार चलाकर घर से संगठन के दफ्तर आया-जाया करता था।

By Priti JhaEdited By: Published: Wed, 06 Oct 2021 12:37 PM (IST)Updated: Wed, 06 Oct 2021 08:41 PM (IST)
बंगाल के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी के खिलाफ एमपी-एमएलए अदालत ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट
बंगाल के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी के खिलाफ एमपी-एमएलए अदालत ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल के पंचायत मंत्री व तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुब्रत मुखर्जी के खिलाफ बिधाननगर की एमपी-एमएलए अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। मुखर्जी को 16 नवंबर तक सरेंडर करने को कहा गया है। करीब 25 साल पुराने मामले में अदालत ने यह निर्देश दिया है। मुखर्जी पर एक निजी बस चालक को मारने-पीटने का आरोप है। उक्त बस चालक ने कोलकाता के करया थाने में मुखर्जी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराया था।

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मुखर्जी ने इसपर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा-' मामला करीब 25 साल पुराना है। उस वक्त मैं आइएनटीयूसी का राज्य अध्यक्ष था। मैं खुद कार चलाकर घर से संगठन के दफ्तर आया-जाया करता था। एक दिन मेरे घर के सामने मेरी कार का एक निजी बस से धक्का लग गया था। उसे लेकर बस चालक से मेरी बहस हो गई थी। लगभग मारपीट जैसी स्थिति हो गई थी। हमारे संगठन के कुछ लड़कों ने उक्त बस चालक को मारा-पीटा था। उसी को लेकर बस चालक ने मेरे खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी थी। इस मामले में मैं बहुत साल पहले बारासात की एमपी-एमएलए अदालत में हाजिर हो चुका हूं ।' मुखर्जी ने आगे कहा-'मैं कानून को मानने वाला व्यक्ति हूं। गुरुवार को अदालत जाकर सरेंडर कर दूंगा।'

गौरतलब है कि कुछ माह पहले नारद स्टिंग कांड में भी सीबीआइ ने मुखर्जी समेत तृणमूल कांग्रेस के कई नेता-मंत्रियों को गिरफ्तार किया था, हालांकि बाद में सभी को अदालत से जमानत मिल गई थी। गौरतलब है कि कुछ समय पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने निचली अदालतों को वर्षों से लंबित पड़े मामलों का त्वरित निपटान करने का आदेश दिया था। उस समय यह भी पूछा गया था कि एमपी- एमएलए अदालतों में मामले वर्षों से लंबित क्यों है? इसके जवाब में कहा गया था कि जनप्रतिनिधियों से जुड़े मामलों को लेकर जब भी सुनवाई होती है तो अदालत परिसर में उनके समर्थकों की भीड़ हो जाती है, सुनवाई कई बार स्थगित करनी पड़ जाती है।


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