मेट्रो डेयरी मामले में ईडी ने बंगाल के चार वरिष्ठ IAS से मांगा जवाब, 22 जून को होंगे हाजिर
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बंगाल के चार वरिष्ठ आइएएस अफसरों से मेट्रो डेयरी में राज्य सरकार की हिस्सेदारी बेचने के मामले में जवाब तलब किया है।
राज्य ब्यूरो,कोलकाता: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बंगाल के चार वरिष्ठ आइएएस अफसरों से मेट्रो डेयरी में राज्य सरकार की हिस्सेदारी बेचने के मामले में जवाब तलब किया है। खबर है कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने पिछले सप्ताह राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को एक पत्र भेजा है, जिसमें 22 जून को अपने कोलकाता कार्यालय में चारों नौकरशाहों की उपस्थिति के लिए निर्देश देने की अपील की है।
पत्र में बंगाल के वित्त सचिव हरि कृष्ण द्विवेदी का नाम है, ये चारों में अफसरों में सबसे वरिष्ठ हैं। अन्य आइएएस अफसरों में पशु संसाधन विभाग के सचिव भगवती प्रसाद गोपालिका,अक्षय ऊर्चा सचवि राजीव कुमार और आदिवासी विकास विभाग के सचिव राजेश कुमार सिन्हा शामिल हैं। राज्य सरकार की ओर से इस समन को लेकर पुष्टि नहीं की गई है। बताते चलें कि 2017 के इस विनिवेश के मामला सार्वजनिक रूप से उस समय प्रकाश में आया था जब कांग्रेस सांसद व वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने वर्ष 2018 में कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें राज्य सरकार पर मेट्रो डेयरी के शहरों का राजनीतिक और वित्तीय फायदे के लिए अवमूल्यन का आरोप लगाया था। कोर्ट आर्डर के तुरंब बाद ही ईडी ने जांच शुरू कर दी थी।
क्या है मामला
मेट्रो डेयरी, पश्चिम बंगाल दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड, केवेंटर एग्रो (प्राइवेट प्लेयर) और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के बीच एक संयुक्त उद्यम था, जो देश में पहला निजी-सार्वजनिक भागीदारी मॉडल था जिसकी शुरुआत 1996 में हुई थी। बाद में एनडीडीबी ने केवेंटर एग्रो को अपनी 10 फीसद हिस्सेदारी बेच दी। जिससे निजी खिलाड़ी इस कंपनी में 53 फीसद शेयर का हिस्सेदार हो गया। अपनी स्थापना के बाद से लगभग दो दशक बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने केवेंटर एग्रो को मेट्रो डेयरी में अपनी 47 फीसद हिस्सेदारी बेच दी-जिससे निजी खिलाड़ी को पूरा नियंत्रण मिल गया। दिलचस्प रूप से केवेंटर एग्रो एकमात्र बोलीदाता था जब ई-नीलामी के माध्यम से सरकार द्वारा निविदा मंगाई गई थी। सूत्रों का कहना है कि यह सौदा 85.5 करोड़ रुपये में हुआ है, विशेषज्ञों का मानना है कि तत्कालीन बाजार मानकों के अनुसार लाभ कमाने वाले उपक्रम की 47 फीसद हिस्सेदारी के लिए बहुत कम राशि है।
ईडी की है पैनी नजर
ईडी के सूत्रों का कहना है कि एक साल से अधिक की जांच में संभावित मनी लांड्रिंग के संकेत मिले हैं और इसीलिए आइएएस अधिकारियों के बयान अहम है। ईडी का कहना है कि उक्त चार नौकरशाह बोर्ड की बैठकों का हिस्सा थे,जिसमें केवेंटर एग्रो के साथ विनिवेश के सौदे को फाइनल किया गया था।
उस समय आइएएस अफसर हरि कृष्ण द्विवेदी और भगवती प्रसाद गोपालिका क्रमशः वित्त और पशुपालन विभाग के सचिव थे। वहीं राजेश सिंह और राजीव कुमार क्रमशः पश्चिम बंगाल डेयरी और पोल्ट्री डेवलपमेंट कॉरपोरेशन का हिस्सा थे। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय एजेंसी के कब्जे में कई दस्तावेज हैं जिस पर उनके हस्ताक्षर भी हैं। मामले में अब तक तृणमूल के एक विधायक और तीन अन्य नौकरशाहों से ईडी द्वारा पूछताछ की जा चुकी है। ईडी के एक अधिकारी ने दावा किया कि ताजा समन महत्वपूर्ण है और 'साक्ष्य' से समर्थित है।
लिखित व वीडियो कांफ्रेंस के जरिेए भी उपस्थिति का है विकल्प
खबर यह भी है कि ईडी ने संबंधित अधिकारियों को समन के साथ एक प्रश्नावली भी भेजा है। ईडी सूत्रों के मुताबिक उन अफसरों के लिखित प्रतिक्रिया पर भी विचार किया जा सकता है। वहीं एजेंसी ने कोरोना महामारी की वजह से अगर अधिकारी सशरीर पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं होते हैं तो वे वीडियो कांफ्रेंस के जरिए भी उपस्थिति की अनुमति दी गई है। राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। हालांकि खबर है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने ईडी के कदम को 'राजनीतिक प्रतिशोध' करार दिया है। क्योंकि पिछले गुरुवार को समन भेजा गया है और उससे दो दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी वर्चुअल जन संवाद रैली से ममता सरकार पर निशाना साधा था।।