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इकोनॉमी को पटरी पर लाने व ग्रामीण लिक्विडिटी सुनिश्चित करने के लिए माइक्रोफाइनेंस की भूमिका महत्वपूर्ण : माइती

‘इकोनॉमी को वापस पटरी पर लाने का मार्ग ग्रामीण उद्योग पर भी निर्भर है जो मांग को बढ़ाने और आर्थिक सुधार की कुंजी रखता है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 07:18 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 07:18 PM (IST)
इकोनॉमी को पटरी पर लाने व ग्रामीण लिक्विडिटी सुनिश्चित करने के लिए माइक्रोफाइनेंस की भूमिका महत्वपूर्ण : माइती
इकोनॉमी को पटरी पर लाने व ग्रामीण लिक्विडिटी सुनिश्चित करने के लिए माइक्रोफाइनेंस की भूमिका महत्वपूर्ण : माइती

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : ‘इकोनॉमी को वापस पटरी पर लाने का मार्ग ग्रामीण उद्योग पर भी निर्भर है जो मांग को बढ़ाने और आर्थिक सुधार की कुंजी रखता है और इन ग्रामीण उद्योगों को सचल रखने में माइक्रोफाइनेंस की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।‘

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यह बात कोलकाता स्थित देश की अग्रणी माइक्रो फाइनेंस कंपनी विलेज फाइनेंसियल सर्विसेस (वीएफएस) के एमडी और सीईओ कुलदीप माइती ने कहीं है। 

उन्होंने कहा कि माइक्रोफाइनेंस ने एनबीएफसी क्षेत्र के हालिया पतन के बावजूद भी ग्रामीण लिक्विडिटी सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई थी। 

99 फीसद की संग्रह दक्षता के साथ उद्योग सक्षम

कोविड द्वारा उत्पन्न वर्तमान परिस्थिति को देखे तो, 10 करोड़ से अधिक महिला ऋणकर्ता, 3 लाख करोड़ रुपये (जो प्रति वर्ष 30-40 फीसद बढ़ रहा है) से अधिक का क्रेडिट पोर्टफोलियो, और 99 फीसद की संग्रह दक्षता के साथ यह उद्योग एक बार फिर से कहानी दोहराने में सक्षम है। 

व्यावसायिक गतिविधियां फिर से शुरू हो चुकी हैं 

कुलदीप माइती के अनुसार, एमएफआइ गतिविधि काफी हद तक कृषि क्षेत्र के से जुड़ी है, जो इस महामारी से कुछ हद तक अप्रभावित है। लेकिन लॉकडाउन के कारण एमएफआइ का कलेक्शन काफी प्रभावित हुआ था क्योंकि महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के कारण यातायात बंद था जिसका प्रभाव ग्रामीण उद्योग पर था और इस कारण काफी ग्राहकों ने मोरेटोरियम ली थी। 

मोरेटोरियम मुहैया कराने का मुद्दा अनसुलझा था

एक तरफ एमएफआइ कंपनियों ने अपने ग्राहकों को मोरेटोरियम दिया था वही दूसरी तरफ इस क्षेत्र को मोरेटोरियम मुह्हैया कराने का मुद्दा अनसुलझा ही था जिसके कारण इन कंपनियों के ईएमआइ संग्रह और बहिर्गमन में काफी फर्क दिख रहा था। 

उद्योग में एमएफआइ कंपनियों की भूमिका अहम्

हालांकि, देश अब अनलॉक फेज में है और व्यावसायिक गतिविधियां फिर से शुरू हो चुकी है जो इकोनॉमी के दृष्टि से अहम् है और इस समय  ग्रामीण उद्योग के पहियों को सचल रखने के लिए लिक्विडिटी की जरुरत पड़ेगी जिसे पूरा करने में एमएफआइ कंपनियों की भूमिका अहम् होगी।

अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में इकोनॉमी में सुधार संभव

देश की आर्थिक परिदृश्य पर उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यदि संक्रमण नियंत्रण में रहता है तो खरीफ की फसल और बुनियादी ढांचे पर खर्च, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में इकोनॉमी में सुधार ला सकता है।

एनबीएफसी-एमएफआइ भी माइक्रोलेंडिंग क्षेत्र में अहम

एमएफआई क्षेत्र में बैंकों के प्रवेश और यदि यह मौजूदा एमएफआइ कंपनियों  के लिए कोई चुनौती पेश करता है पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, माइती ने बताया कि 38 फीसद बाजार हिस्सेदारी के साथ, एनबीएफसी-एमएफआइ अभी भी माइक्रोलेंडिंग क्षेत्र में एक विशेष स्थान रखता है। लेकिन, देश की आबादी का महत्वपूर्ण हिस्सा अभी भी कम आय वाले श्रेणी में है, जिनके पास बैंक क्रेडिट ठीक तरह से उपलब्ध नहीं है। 

एमएफआइ क्षेत्र में लेवल प्लेइंग फील्ड की गुंजाइश है 

इसलिए, एमएफआइ क्षेत्र में सभी के लिए जगह है, और इसे मै मौजूदा एमएफआइ कंपनियों पर कोई खतरा नहीं मानता। हालांकि, लेवल प्लेइंग फील्ड की गुंजाइश है जैसे की एमएफआइ क्षेत्र को मोरेटोरियम देने का मुद्दा, उन्होंने आगे टिप्पणी की।


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