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कैंसर पीड़ित ने अस्पताल के लिए दान दी 5 करोड़ की भूमि

- गले और मुंह के कैंसर से पीड़ित हैं दानदाता - परिवार ने पहले भी किया है कब्रस्तान और मंदिर

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 03:01 AM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 03:01 AM (IST)
कैंसर पीड़ित ने अस्पताल के लिए दान दी 5 करोड़ की भूमि
कैंसर पीड़ित ने अस्पताल के लिए दान दी 5 करोड़ की भूमि

- गले और मुंह के कैंसर से पीड़ित हैं दानदाता

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- परिवार ने पहले भी किया है कब्रस्तान और मंदिर के लिए दान

जागरण संवाददाता, हुगली : कहते हैं दर्द का हाल वही जाने, जो दर्द से गुजर रहा होता है। ऐसा ही एक मामला हुगली के आरामबाग इलाके में सामने आया है। यहां के कैंसर पीड़ित एक शख्स ने अस्पताल बनाने के लिए अपनी पांच करोड़ की जमीन दान में दे दी है। उनका नाम अचिंत्य कुंडू हैं। वह आरामबाग के रहने वाले हैं। अचिंत्य के इस फैसले को सामाजिक व प्रशासनिक स्तर पर खूब सराहना मिल रही है।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने इलाके में मेडिकल और नर्स ट्रेनिंग कालेज बनाने की योजना बनाई है। हालांकि जमीन की उपलब्धता को लेकर पेश आ रहीं दिक्कतों के कारण अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू होने में विलंब हो रहा है। इस बात की जानकारी जब कैंसर पीड़ित अचिंत्य को लगी, तो उन्होंने अपनी पांच बीघा जमीन को अस्पताल बनाने के लिए दान करने का मन बना लिया। उनकी इस जमीन की कीमत पांच करोड़ रुपये आंकी गई है। अचिंत्य के इस फैसले से एक ओर जहां प्रशासकीय स्तर पर खुशी का माहौल वहीं आम लोगों ने भी इस कदम को प्रशंसनीय बताया।

बता दें कि आरामबाग के कालीपुर वार्ड नंबर 12 के निवासी अचिंत्य एक राइस मिल के मालिक हैं। उनके पिता हरिमोहन कुंडू भी सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं। वहीं अचिंत्य का बेटा आर्यनदीप मेडिकल का छात्र है।

स्थानीय निकाय के चैयरमैन स्वपन नंदी का कहना है कि हमें इतनी बड़ी जमीन मिल गई है, यह हमारे लिए गौरव की बात है। रविवार को स्वपन पार्षदों के साथ उक्त इलाके में पहुंचे और जमीन का जायजा लिया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, कुंडू परिवार हमेशा से अपनी दानधर्मिता के लिए जाना जाता रहा है। इससे पहले भी कुंडू परिवार ने कब्रिस्तान, मंदिर और कालीपुर स्वामीजी हाईस्कूल में लाइब्रेरी बनवाने के लिए अपनी जमीन दान की है।

बता दें कि अचिंत्य गले और मुंह की कैंसर से पीड़ित है। उनका कहना है कि जब मुझे मालूम चला कि सरकार आरामबाग में मेडिकल कॉलेज बनाने जा रही है, लेकिन जमीन की उपलब्धता नहीं होने के कारण काम शुरू होने में देर हो रही है। तम मैंने अपनी जमीन अस्पताल के लिए दान करने का निर्णय लिया। इसे लेकर मैंने अपनी मां से बात की। उन्होंने मेरे फैसले का समर्थन किया। तत्पश्चात मैंने इस मामले में सरकार से बात की। अचिंत्य ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि मेडिकल कॉलेज स्थापित होने के बाद इलाके के साथ ही आसपास के लोग भी लाभान्वित होंगे।


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