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अल्पसंख्यक अधिकार दिवस: ममता ने कहा- बंगाल में सबसे अधिक 1.7 करोड़ अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति

अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के मौके पर ममता बनर्जी ने दावा किया उनकी सरकार ने देश भर में सबसे अधिक अल्पसंख्यक छात्रों को अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति दी है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 12:06 PM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 12:06 PM (IST)
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस: ममता ने कहा- बंगाल में सबसे अधिक 1.7 करोड़ अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस: ममता ने कहा- बंगाल में सबसे अधिक 1.7 करोड़ अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति

कोलकाता, जागरण संवाददाता। अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि उनकी सरकार ने देश भर में सबसे अधिक अल्पसंख्यक छात्रों को अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति दी है। मंगलवार को मुख्यमंत्री ने इस बारे में ट्वीट किया।

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इसमें उन्होंने कहा कि आज अल्पसंख्यक अधिकार दिवस है। हम सभी बराबर और एकजुट हैं। अनेकता में एकता ही हमारी ताकत है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि पश्चिम बंगाल सरकार ने 1.7 करोड़ अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति दी है जो पूरे देश में सबसे ज्यादा है। इस मौके पर मैं सभी को शुभकामनाएं दे रही हूं।

उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस विश्वभर में प्रत्येक वर्ष 18 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिवस प्रति वर्ष 18 दिसंबर 1992 से सयुंक्त राष्ट्र संघ द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा, राष्ट्र निर्माण में योगदान के रूप में चिह्न्ति कर अल्पसंख्यकों के क्षेत्र विशेष में ही उनकी भाषा, जाति, धर्म, संस्कृति, परंपरा आदि की सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु मनाया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र के एक विशेष प्रतिवेदक फ्रेंसिस्को कॉपोटोर्टी ने एक वैश्विक परिभाषा दी, जिसके अनुसार- किसी राष्ट्र-राज्य में रहने वाले ऐसे समुदाय जो संख्या में कम हों और सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक रूप से कमज़ोर हों एवं जिनकी प्रजाति, धर्म, भाषा आदि बहुसंख्यकों से अलग होते हुए भी राष्ट्र के निर्माण, विकास, एकता, संस्कृति, परंपरा और राष्ट्रीय भाषा को बनाये रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हों, तो ऐसे समुदायों को उस राष्ट्र-राज्य में अल्पसंख्यक माना जाना चाहिए।

भारत सरकार ने अल्पसंख्यक अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए 1978 में अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया था। इसे बाद में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम-1992 के तहत कानून के रूप में 1992 में पारित किया गया। इस दिन का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा, राष्ट्र निर्माण में योगदान के रूप में चिह्न्ति कर अल्पसंख्यकों के क्षेत्र विशेष में ही उनकी भाषा, जाति, धर्म, संस्कृति, परंपरा आदि की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। 


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