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सात चरणों में चुनाव पर तृणमूल ने उठाए सवाल

-ममता ने कहा यह भाजपा का है गेम प्लान - रमजान के महीने में चुनाव की तारीखों को लेकर जताय

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 07:27 PM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2019 07:27 PM (IST)
सात चरणों में चुनाव पर तृणमूल ने उठाए सवाल

-ममता ने कहा, यह भाजपा का है गेम प्लान

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- रमजान के महीने में चुनाव की तारीखों को लेकर जताया कड़ा विरोध

-फिरहाद हकीम ने कहा, चुनावों में सबसे ज्यादा परेशानी मुसलिमों को होगी

जागरण संवाददाता, कोलकाता : पाकिस्तान पर हाल में हुए भारतीय वायुसेना के एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाने के बाद अब बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल ने राज्य में सात चरणों में लोकसभा चुनाव कराए जाने व रमजान के महीने में मतदान की तारीखों पर सवाल खड़े किए हैं। पहले वरिष्ठ तृणमूल नेता, राज्य के मंत्री व कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने मतदान की तारीखें रमजान के महीने में रखने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि रोजेदारों को मतदान के लिए जाने में बहुत परेशानी होगी। इसके बाद सोमवार की शाम को मुख्यमंत्री व तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने भी विरोध जताते हुए कहा कि यह भाजपा का गेम प्लान है। उन्होंने कहा कि वह (भाजपा) इस बार अपने गेम प्लान में सफल नहीं होगी। जनता बहुत समझदार है। हालांकि, ममता ने कहा कि इससे मुझे फायदा है क्योंकि, मैं हर जगह चुनाव प्रचार कर सकूंगी। राज्य के अलावा दूसरे राज्यों में जाकर भी चुनाव प्रचार के संकेत दिए।

इधर, सोमवार को कोलकाता में मंत्री फिरहाद ने पत्रकारों से कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और हम उसका सम्मान करते हैं। हम चुनाव आयोग के खिलाफ कुछ नहीं कहना चाहते, लेकिन सात चरणों में होने वाले चुनाव बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए बहुत कठिन होंगे। उन्होंने कहा कि इन चुनावों में सबसे ज्यादा परेशानी मुसलिमों को होगी क्योंकि मतदान की तारीखें रमजान के महीने में रखी गई है। रमजान में मुसलिम पूरे दिन भूखे रहते हैं। ऐसे में उनके लिए मतदान करना कठिन होगा। हालांकि इसके साथ उन्होंने कहा कि चुनाव पांच, सात या 14 चरणों में कराया जाए यह मुद्दा नहीं है, क्योंकि हमारी नेता ममता बनर्जी की जगह लोगों के दिल में है। लेकिन, हमारी चिंता राज्य के लोगों को लेकर है। लगातार मतदान कराए जाने से लोगों पर दबाव पड़ेगा। उन्होंने आशंका जताई कि मतदान रमजान के महीने में होना है। कहीं यह रमजान का फायदा उठाने की कोशिश तो नहीं है?

उन्होंने कहा, इन तीन राज्यों में अल्पसंख्यक आबादी काफी ज्यादा है। वह रोजा रखकर वोट डालेंगे। चुनाव आयोग को इस बात को अपने दिमाग में रखना चाहिए। भाजपा चाहती है कि अल्पसंख्यक अपना वोट न डालें। लेकिन हम इससे चिंतित नहीं हैं। लोग भाजपा हटाओ-देश बचाओ को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

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चुनाव के लिए चरणों की संख्या महत्वपूर्ण नहीं : विमान

दूसरी ओर, वाममोर्चा के अध्यक्ष विमान बोस ने कहा कि चुनाव के लिए चरणों की संख्या महत्वपूर्ण नहीं है। जरूरत इस बात कही है कि निर्वाचन आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष और उचित तरीके से मतदान कराना सुनिश्चित करे, क्योंकि राज्य में लोकतंत्र की हत्या हो चुकी है। उन्होंने सवाल किया कि पश्चिम बंगाल के प्रासंगिक बात यह है कि क्या चुनाव पारदर्शी, समुचित तरीके से स्वतंत्र और निष्पक्ष हो पाएगा?

अगर आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष और उचित तरीके से मतदान कराना सुनिश्चित करे तो राज्य में लोकतंत्र की बहाली के लिए हम अपनी लड़ाई और मजबूती से लड़ेंगे।

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चुनाव आयोग ने कहा, त्योहार का रखा ध्यान, शुक्रवार को मतदान नहीं

बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम सहित अन्य मुसलिम धर्मगुरुओं द्वारा रमजान के महीने में चुनाव कराए जाने पर आपत्ति जताने के बाद चुनाव आयोग ने इसपर अपनी सफाई दी है। आयोग की ओर से सोमवार को कहा गया कि उन्होंने त्योहार का ध्यान रखा है और किसी भी शुक्रवार के दिन मतदान नहीं है। आयोग ने स्पष्ट कहा कि रमजान के पूरे महीने ही चुनाव न हो, ऐसा नहीं हो सकता है। आगे कहा कि 2 जून से पहले नई सरकार का गठन जरूरी है। ऐसे में इसे और टाला नहीं जा सकता था। साथ ही एक महीने तक चुनाव न हो, ऐसा संभव नहीं था। इसलिए आयोग ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि किसी भी शुक्रवार को अथवा किसी त्योहार के दिन मतदान न हो। बता दें कि इस बार रमजान मई व जून में है। तीन राज्यों- बंगाल, बिहार व यूपी में मतदान की तारीखें रमजान के महीने में पड़ रही है।

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