West Bengal :ममता का एलान भी न आ रहा काम, सड़कों से निजी बसें नदारद, किराये पर विवाद
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 15 हजार रुपये प्रति माह आर्थिक मदद देने की घोषणा के बावजूद महानगर में बसें नहीं चल रही है। बस मालिक संगठनों ने किराया बढ़ाने पर अड़े।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 15 हजार रुपये प्रति माह आर्थिक मदद देने की घोषणा के बावजूद महानगर में बसें नहीं चल रही है। ईंधन के बढ़ते दामों और कोरोना महामारी के कारण कम यात्रियों को बिठाने की पाबंदी से हुए नुकसान के चलते कोलकाता में बड़ी संख्या में निजी बसें सड़कों से नदारद हैं, जिसके कारण यात्रियों को सोमवार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। निजी बसों से जुड़े संगठन किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। यात्रियों ने महानगर और उसके उपनगरों में कम निजी बसों के परिचालन के कारण पिछले सप्ताह की तुलना में अपने गंतव्य तक पहुंचने में देरी की शिकायत की है।
एक जून को अनलॉक-1 शुरू होने के बाद से ही सार्वजनिक परिवहन के अभाव के कारण यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आठ जून को अधिकतर सरकारी तथा निजी कार्यालय और एवं प्रतिष्ठान फिर से खोल दिए गए थे। शहर और जिलों में निजी बस ऑपरेटरों के सबसे बड़े संघों में से एक बस सिंडिकेट्स संयुक्त परिषद ने कहा कि वर्तमान किराया व्यवस्था व्यवहार्य नहीं है। संघ के महासचिव तपन बनर्जी ने कहा कि ईंधन के ऊंचे दामों और यात्रियों की संख्या सीमित रखने के सरकार के निर्देशों ने कुल मिलकर सेवाओं को चरमरा दिया है। टिकटों की इतनी बिक्री भी नहीं हो रही कि ईंधन का खर्च निकल जाए, दूसरे खर्चों की बात तो छोड़ ही दीजिए। ईंधन के दामों में केवल तीन सप्ताह के अंदर सोमवार को 22वीं बार वृद्धि हुई है।
अखिल बंगाल बस मिनिबस समन्वय समिति के महासचिव राहुल चटर्जी के अनुसार राज्य में लगभग 27 हजार निजी बसें हैं। अधिकारियों ने कहा है कि बीते सप्ताह से लगभग 25 फीसद बसें चल रही हैं। हालांकि राज्य के परिवहन उपक्रम डब्ल्यूबीटीसी के प्रबंधन निदेशक राजनवीर सिंह कपूर का कहना है कि बसें पूरी संख्या में चल रही हैं।
उल्लेखनीय है कि तीन दिन पहले राज्य सरकार ने किराया बढ़ाने की बस मालिकों की मांग को ख़ारिज करते हुए उनको होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए छह हज़ार निजी बसों को तीन माह तक 15 हज़ार रुपये प्रति माह आर्थिक सहायता देने का एलान किया था।