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क्या सरकार जबरदस्‍ती लोगों को देश से निकालना चाह रही है: ममता

असम में सोमवार को जारी हुए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) के फाइनल ड्राफ्ट पर सियासी घमासान शुरू हो गया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 08:57 AM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 10:45 AM (IST)
क्या सरकार जबरदस्‍ती लोगों को देश से निकालना चाह रही है: ममता
क्या सरकार जबरदस्‍ती लोगों को देश से निकालना चाह रही है: ममता

जागरण संवाददाता, कोलकाता। असम में सोमवार को जारी हुए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) के फाइनल ड्राफ्ट पर सियासी घमासान शुरू हो गया है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एनआरसी की सूची में से 40 लाख लोगों के नाम हटाए जाने को लेकर केंद्र सरकार पर करारा वार किया है।

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सोमवार को असम और एनआरसी के अंतिम मसौदे को केंद्रीय और राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा जारी किए जाने के तुरंत बाद सुश्री बनर्जी ने राज्य सचिवालय नवान्न में प्रेस कांफ्रेंस कर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। सुश्री बनर्जी ने कहा कि लोगों के पास आधार कार्ड है, पासपोर्ट भी है, लेकिन लिस्ट में लोगों के नाम नहीं हैं। लिस्ट में से लोगों के नामों को जानबूझकर हटाए गए। लोगों का सरनेम देखकर उनका नाम एनआरसी की लिस्ट से हटाया गया है।

उधर, तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने संसद के चालू मानसून सत्र में भी इस मुद्दे को उठाया और प्रधानमंत्री से पक्ष रखने को कहा। सुश्री बनर्जी ने कहा कि इसका असर सर्वाधिक बंगाल पर पड़ेगा इसे लेकर बंगाल से सटे सीमावर्ती इलाकों में चौकसी बढ़ा दी गई है। मुख्यमंत्री ने राज्य के डीजीपी को कड़ी निगरानी रखने को कहा है। वहीं, बंगाल विधानसभा के चालू मानसून सत्र में मंगलवार को एकमत से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस, विपक्षी कांग्रेस और माकपा ने प्रस्ताव लाने की बात कही है।

बांग्ला व बिहार के लोगों के साथ भेदभाव

ममता बनर्जी ने कहा कि हम ऐसा नहीं होने देंगे। बांग्ला बोलने वाले लोगों के साथ यह भेदभाव किया गया है। क्या सरकार जबर्दस्ती लोगों को देश से निकालना चाह रही है? वहां सेंट्रल फोर्स की अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई है। इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई है। उन्होंने कहा कि अधिकतर लोग उत्तर बंगाल के रहने वाले हैं और लंबे समय से असम में रह रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि सूची में बिहार के लोग भी हैं और उन्हें असम से भगाने के लिए ही भाजपा की सरकार ने यह चाल चली है।

मानवता के नाते देनी चाहिए नागरिकता

ममता बनर्जी ने यह भी पूछा कि क्या होगा अगर इन 40 लाख लोगों को बांग्लादेश की सरकार ने वापस लेने से इनकार कर दिया? ममता ने कहा कि यह सारे लोग शरणार्थी हो जाएंगे और मानवता के नाते केंद्र की सरकार को इन लोगों को नागरिकता देनी चाहिए। हम गृह मंत्री राजनाथ सिंह से एक संशोधन लाने का अनुरोध करते हैं। उधर, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर किसी का नाम फाइनल ड्राफ्ट में नहीं भी है तो वह तुरंत ट्रिब्यूनल से संपर्क कर सकता है। किसी के खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

आवश्यक हुआ तो जाऊंगी असम

ममता बनर्जी ने कहा कि आवश्यक हुआ तो वे असम जाने की कोशिश करेंगी। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के सांसद असम जा चुके हैं। हालांकि ममता बनर्जी ने आशंका जताई कि उन्हें असम जाने से रोका जा सकता है। लेकिन ममता बनर्जी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 31 जुलाई को दिल्ली में रहेंगी।

सोमवार को दिल्ली रवाना होने से पहले उन्होंने राज्य के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों संग बैठक की और असम से सटे राज्य की सीमा पर विशेष नजर रखने का निर्देश दिया। ज्ञात हो कि अवैध घुसपैठियों को चिन्हित करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद असम की सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या सर्वेक्षण के जरिए यह नई सूची जारी की है जिसमें 40 लाख लोग अवैध तरीके से असम में रहने वाले पाए गए हैं। 


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