पश्चिम बंगाल में हुई सौर ऊर्जा उत्पादन में बढ़ोतरी: ममता
ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के मौके पर दावा किया है कि उनकी सरकार गैर परंपरागत स्रोतों से उर्जा का उत्पादन बढ़ाने की ओर कदम बढ़ा रही है।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के मौके पर दावा किया है कि उनकी सरकार गैर परंपरागत स्रोतों से उर्जा का उत्पादन बढ़ाने की ओर कदम बढ़ा रही है जिसकी वजह से सौर ऊर्जा उत्पादन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
शुक्रवार सुबह मुख्यमंत्री ने इस बारे में एक बयान जारी किया। इसमें उन्होंने कहा है कि आज राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस है। पश्चिम बंगाल में हमारी सरकार गैर परंपरागत स्रोतों से ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने में तेजी से प्रगति कर रही है।
वाममोर्चा के शासन काल से उर्जा की क्षमता की तुलना करते हुए ममता ने कहा है कि साल 2011 में 1.2 मेगावाट (मेगावाट) से बढ़कर सौर ऊर्जा उत्पादन 2017-18 में 53.216 मेगावाट तक पहुंच गया है, जबकि इसी अवधि के दौरान बायोमास बिजली की उत्पादन 1.59 मेगावाट से बढ़कर 13.29 मेगावाट हो गया है। एक पवन ऊर्जा उत्पादन संयंत्र विकसित करने के लिए सागर द्वीप में भी एक सर्वेक्षण चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल के सत्ता पर ममता बनर्जी की सरकार बनी थी। उसके पहले 34 सालों तक यहां वाममोर्चा का शासन था। विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ऊर्जा दक्षता और संरक्षण के महत्व के बारे में जन जागरुकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाता है।
जागरुकता फैलाने के रूप में बीईई ऊर्जा उपभोग को कम करने में उद्योगों के प्रयासों को मान्यता प्रदान करने तथा उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार प्रदान करता है। बीईई ऊर्जा संरक्षण विषय पर वार्षिक चित्रकला प्रतियोगिता के राष्ट्रीय विजेताओं को भी पुरस्कृत करता है। इस वर्ष राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता में 1.22 करोड़ से अधिक बच्चों ने हिस्सा लिया था और 322 औद्योगिक ईकाइयों तथा प्रमुख क्षेत्रों के प्रतिष्ठानों ने राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार 2017 के लिए प्रतिभागिता की थी।
इस साल भी इसी तरह का आयोजन है। भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम वर्ष 2001 में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा स्थापित किया गया। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो एक संवैधानिक निकाय है जो भारत सरकार के अंतर्गत आता है और ऊर्जा का उपयोग कम करने के लिए नीतियों और रणनीतियों के विकास में मदद करता है।
भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य पेशेवर, योग्य और ऊर्जावान प्रबंधकों के साथ ही लेखा परीक्षकों को नियुक्त करना है जो ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं को लागू करने और ऊर्जा, परियोजनाओं, नीति विश्लेषण, वित्त प्रबंधन में विशेषज्ञ हों। कुशलता से ऊर्जा का उपयोग भविष्य में उपयोग के लिए इसे बचाने के लिए बहुत आवश्यक है। ऊर्जा संरक्षण की योजना की दिशा में अधिक प्रभावशाली परिणाम प्राप्त करने के लिए हर इंसान के व्यवहार में ऊर्जा संरक्षण निहित होना चाहिए।
जीवाश्म ईंधन, कच्चे तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस आदि दैनिक जीवन में उपयोग के लिए पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न करते हैं लेकिन दिनों-दिन इनकी बढ़ती मांग प्राकृतिक संसाधनों के कम होने का भय पैदा करता है। ऊर्जा संरक्षण ही केवल एक ऐसा रास्ता है जो ऊर्जा के गैर- नवीनीकृत साधनों के स्थान पर नवीनीकृत साधनों को प्रतिस्थापित करता है।
भारत में पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान एसोसिएशन वर्ष 1977 में भारत सरकार द्वारा भारतीय लोगों के बीच ऊर्जा संरक्षण और कुशलता को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था। ये ऊर्जा का संरक्षण महान स्तर पर करने के लिये भारत सरकार द्वारा उठाया गया बहुत बड़ा कदम है। बेहतर ऊर्जा कुशलता और संरक्षण के लिए भारत सरकार ने एक अन्य संगठन ऊर्जा दक्षता ब्यूरो को भी साल 2001 में स्थापित किया गया।