कोलकाता, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होने वाले गणतंत्र दिवस परेड में बंगाल की झांकी को शामिल नहीं किए जाने को लेकर सियासत गरमा गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। वहीं, बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है। इस बीच, केंद्र सरकार के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बंगाल की झांकी का थीम केंद्र की झांकी के थीम से मेल खा रहा था। दोहराव से बचने के लिए इसे शामिल नहीं किया गया है। गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस परेड का इस साल का थीम 'आजादी का अमृत महोत्सव' है। स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में यह थीम तैयार की गई है। इसी साल नेताजी की 125वीं जयंती होने के कारण 23 जनवरी को पराक्रम दिवस से गणतंत्र दिवस समारोह शुरू करने का केंद्र ने निर्णय लिया है। बंगाल की ममता सरकार ने इसी को ध्यान में रखकर अपनी झांकी तैयार की थी।
ममता ने इसलिए लिखा पत्र
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में ममता ने कहा कि मैं हैरान और दुखी हूं कि भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस के लिए बंगाल की झांकी को स्वीकृत देने से इन्कार कर दिया। हमारे लिए इस फैसले को स्वीकार करना इसलिए भी मुश्किल हो रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार की तरफ से झांकी को मंजूर नहीं करने का कोई कारण नहीं बताया गया है। इधर, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि नेताजी पर आधारित झांकी को खारिज करके उनका अपमान किया गया है, वहीं तृणमूल के लोकसभा सांसद सौगत राय ने कहा कि पिछले साल भी केंद्र सरकार ने बंगाल की झांकी को शामिल नहीं किया था। उस वक्त भी इसका कोई कारण नहीं बताया गया था। बंगाल की बार-बार उपेक्षा की जा रही है। हमने इसके खिलाफ पिछली बार भी संसद में आवाज उठाई थी और इस बार भी उठाएंगे।'दूसरी तरफ भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि दिल्ली के लोगों को बंगाल में प्रवेश करने नहीं दिया जाता है तो यहां की झांकी को वहां कैसे शामिल किया जा सकता है?
इस बार पराक्रम दिवस से शुरू होगा गणतंत्र दिवस समारोह
इस साल से पराक्रम दिवस से ही गणतंत्र दिवस का समारोह शुरू हो जाएगा। पिछले साल केंद्र सरकार ने 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। अभी तक 24 जनवरी को फुल ड्रेस रिहर्सल के साथ गणतंत्र दिवस समारोहों की शुरुआत होती थी और 29 नवंबर को बीटिंग रिट्रीट के साथ इसका समापन होता था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर पिछले पांच छह वर्षों में मोदी सरकार ने कई कदम उठाए हैं। पुरानी मांग को देखते हुए उनसे जुड़े पुराने दस्तावेज इसी सरकार में सार्वजनिक किए गए थे। उनके जन्मदिन 23 जनवरी से गणतंत्र दिवस से जोड़े जाने का बड़ा राजनीतिक संकेत है। मोदी सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र को सबसे अगली पंक्ति के नेताओं में खड़ा किया है। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। नेताजी ने 21 अक्टूबर 1943 को भारत की पहली स्वाधीन सरकार की घोषणा की थी और इसके बाद 19 मार्च 1944 को आजाद हिंद फौज ने पहली बार भारत की धरती पर मणिपुर में तिरंगा फहराया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा कर सरकार ने स्वाधीनता संग्राम में उनके योगदान को अहमियत दी थी।
इस बार गणतंत्र दिवस पर शामिल हो सकेंगे सिर्फ 24 हजार लोग
कोरोना को देखते हुए राजधानी में इस साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड के दौरान मात्र 24 हजार लोगों को उपस्थित रहने की ही अनुमति दी जाएगी। रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि देश में कोरोना से पहले 2020 में करीब 1.25 लाख लोगों को परेड के दौरान उपस्थित रहने की अनुमति थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस साल परेड के दौरान उपस्थित रहने वाले करीब 24 हजार लोगों में से 19 हजार लोगों को आमंत्रित किया जाएगा और शेष आमजन होंगे, जो टिकट खरीद सकेंगे। परेड के दौरान कोरोना प्रोटोकाल का पालन किया जाएगा। लोगों के बैठने का प्रबंध करते समय शारीरिक दूरी के नियमों का पालन किया जाएगा।
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