Gangasagar Mela 2022: गंगासागर मेले से 'साफ्ट हिंदुत्व' की अपनी छवि बनाने की जुगत में ममता बनर्जी
Gangasagar Mela 2022 सियासी विश्लेषकों का कहना है कि ममता 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कड़ी टक्कर देने के लिए गंगासागर मेले के जरिये साफ्ट हिंदुत्व की अपनी मजबूत छवि तैयार करना चाहती हैं।
कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) लगातार तीसरी बार सूबे की सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही राष्ट्रीय स्तर पर अपने विस्तार में जुटी हुई है। इसी के तहत ममता विरोधी राजनीतिक दलों द्वारा उनपर 'अल्पसंख्यक समर्थक' व 'हिंदू विरोधी' होने के लगाए जाने वाले आरोपों को गलत साबित करने की लगातार कोशिश की जा रही है। लाख विरोध के बावजूद कलकत्ता हाई कोर्ट जाकर वहां से अनुमति प्राप्त करके गंगासागर मेले का बड़े पैमाने पर आयोजन करना, उनकी इसी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। सियासी विश्लेषकों का कहना है कि ममता 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कड़ी टक्कर देने के लिए गंगासागर मेले के जरिये 'साफ्ट हिंदुत्व' की अपनी मजबूत छवि तैयार करना चाहती हैं।
गंगासागर मेला पालिटिकल प्रोजेक्ट की तरहः चक्रवर्ती
यही वजह है कि देश के विभिन्न हिस्सों से गंगासागर मेले में पहुंच रहे तीर्थयात्रियों के बीच ममता की 'हिंदू समर्थक' के रूप में खूब ब्रांडिंग देखने को मिल रही है। लाउड स्पीकर पर दिनभर सुनाई पड़ता है कि ममता ने गंगासागर तीर्थ पर टैक्स माफ कर दिया है और तीर्थयात्रियों के लिए पांच लाख रुपये के बीमा की भी व्यवस्था भी की है। सियासी विश्लेषक बिश्र्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं कि ममता अपनी हिंदू समर्थक छवि तैयार करने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं। उन पर मुस्लिमों के तुष्टीकरण का आरोप लगता आया है। उनकी यही छवि पूरे देश में बन गई है। पिछली सदी के नौवें दशक में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की भी इसी तरह की छवि थी। ममता उस छवि से बाहर निकलने की कोशिश कर रही हैं, इसलिए अब वह कहीं जाने पर वहां के मंदिरों में दर्शन-पूजन करना नहीं भूलती हैं। सामाजिक आलोचना के बावजूद उन्होंने गंगासागर मेले का आयोजन कराया। मेरा मानना है कि गंगासागर मेला उनके लिए पालिटिकल प्रोजेक्ट की तरह है।
मुसलमानों की तरह हिंदुओं को भी अपने साथ रखना चाहती हैं ममता: अधीर
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बंगाल में विधानसभा चुनाव के समय ममता ने अल्पसंख्यकों को लुभाने की कोशिश की और चुनाव बाद जनता को यह दिखाने का प्रयास कर रही हैं कि वह ब्राह्मण परिवार से हैं। वह प्रतिदिन चंडी पाठ करती हैं। वह मुसलमानों की तरह हिंदुओं को भी अपने साथ रखना चाहती हैं। दरअसल, ममता गंगासागर मेले के जरिये देश में यह संदेश देना चाहती हैं कि उनपर मुसलमानों को तुष्ट करने का जो आरोप लगाया आया है, वह गलत है। पूर्व माकपा सांसद मोहम्मद सलीम कहते हैं कि तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा आयोजित पार्टी है। भाजपा जो खुद से नहीं कर पाती है, वह ममता के माध्यम से करती है। मोदी बनाम ममता, भाजपा बनाम टीएमसी, ये सब दिखावे के लिए हैं। टीएमसी और भाजपा में कोई अंतर नहीं है।
संतुलन बनाए रखने की सियासत कर रहीं ममता: शमिक
बंगाल भाजपा के प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि यह तो ममता बनर्जी की संतुलन बनाए रखने की सियासत है। लोगों की जिंदगी को खतरे में डालकर संक्रमण फैलने देकर वह अपना राजनीतिक स्वार्थ साधने की कोशिश कर रही हैं।