Bharat Bandh: ममता बनर्जी बोलीं, बंद के नाम पर गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं
Bharat Bandh. ममता ने कहा कि बंद के नाम पर गुंडागर्दी की जा रही है। इसे आंदोलन नहीं कहा जा सकता है। यह गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। Bharat Bandh. केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में बुधवार को वाममोर्चा-कांग्रेस के बंगाल बंद पर तृणमूल प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने करारा प्रहार किया है। हिंसक प्रदर्शन, तोड़फोड़, आगजनी और यातायात में व्यवधान पर नाराजगी जाहिर करते हुए ममता ने कहा कि बंद के नाम पर गुंडागर्दी की जा रही है। इसे आंदोलन नहीं कहा जा सकता है। यह गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन को तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
दक्षिण 24 परगना जिले में एक सभा मंच से बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य में जिनका कोई राजनीतिक आधार नहीं है, वे बंद जैसी सस्ती राजनीति करके यहां की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह बंद के मकसद का समर्थन करती हैं, लेकिन उनकी पार्टी और सरकार किसी भी तरह के बंद के विरोध में हैं। बंगाल में पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार के 34 साल की ओर इशारा करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि जब वे सत्ता में थे तब तो कुछ किया नहीं और आज जो कुछ भी मैं बनाने की कोशिश कर रही हूं उसे वे नष्ट कर रहे हैं।
केरल में माकपा बंगाल से बेहतर
मुख्यमंत्री ने कहा कि केरल में माकपा की सरकार है और वह बंगाल में वामपंथियों से बहुत बेहतर है, क्योंकि कम से कम वे अपनी विचारधारा में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि वामो के पास मानवता का मूल्य मात्र शेष नहीं बचा है। कहीं ट्रेन के नीचे बम रख दिया गया, कहीं पत्थर फेंके जा रहे हैं, कहीं ट्रेनें तो कहीं बसें रोकी जा रही हैं तो कहीं बाइक सवारों के साथ मारपीट की गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि यह दादागिरी नहीं तो और क्या है? क्या इसे आंदोलन कहा जा सकता है।
आंदोलन एक दिन का नहीं होता
सीएए-एनआरसी के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार सड़क पर उतर रही हैं। पूर्व में भी वे ऐसा कर चुकी हैं। अपने सिंगूर आंदोलन का प्रसंग उठा कर ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने 26 दिनों तक आंदोलन किया था, लेकिन एक बस तक में किसी ने हाथ नहीं लगाया। उन्होंने कहा कि आंदोलन एक दिन का नहीं होता बल्कि निरंतर चलता है। आंदोलन करना कठिन होता है, क्योंकि इसके लिए रास्ते पर पड़े रहना पड़ता है। सीएम ने आगे कहा कि जेएनयू से लेकर असम एनआरसी सभी की हमने निंदा की है। लखनऊ, असम, जेएनयू में प्रतिनिधिमंडल भेजा, लेकिन क्या वे (वाममोर्चा) एक बार भी सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ दिल्ली में एक भी जुलूस निकाले?
वामो की बंद बुलाने की पुरानी परंपरा
मुख्यमंत्री ने कहा कि वाममोर्चा की ओर से बंद बुलाने की पुरानी परंपरा रही है। साल में तीन चार बार बंद बुलाते रहे हैं, लेकिन सफल नहीं होता। मुझे नहीं समझ आता कि आखिर ये बंद बुलाते ही क्यों है? लोग पहले से ही परेशान हैं, रोजगार नहीं है, ऐसे में बंद को लेकर परेशानी आम जनता को ही होती है और नहीं तो उनका एक दिन काम का बर्बाद होता है।
कानूनी कदम उठाएगा प्रशासन
ममता बनर्जी ने कहा कि मैं माकपा नेताओं की बातों पर विश्वास नहीं करती। बंद को लेकर तोड़फोड़ व अन्य गैर कानूनी काम किया गया, इसे लेकर पुलिस प्रशासन कानूनी कार्रवाई करने को स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि मैं अब भी उनसे आग्रह करुंगी कि वे प्रजातांत्रिक तरीके से आंदोलन का स्वरूप चुनें। गुंडागर्दी करते-करते आज उनकी पार्टी सर्वनाश को पहुंच चुकी है।
मालदा में बंद के दौरान हिंसा व आगजनी, हवाई फायरिंग
वामपंथी श्रमिक संगठनों और कांग्रेस द्वारा आहूत देशव्यापी आम हड़ताल के दौरान बुधवार को मालदा जिले के कालियाचक में हड़ताल समर्थकों की भीड़ हिंसक हो उठी और पुलिस पर पथराव के साथ दो गाड़ियों को फूंक दिया। सुजापुर इलाके में घंटों सड़क अवरोध करने वाले बंद समर्थकों को हटाने पहुंची पुलिस के साथ झड़प शुरू हो गया। इसके बाद बंद समर्थकों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। बदले में पुलिस ने भी आंसू गैस के गोले दागे व लाठीचार्ज की। पर इससे हालात काबू में होने के बजाय और बिगड़ गए। बंद समर्थकों ने कई वाहनों में तोड़फोड़ करने के साथ ही पुलिस की दो गाडि़यां में आग लगा दी। हालात बिगड़ता देख पुलिस ने हवाई फायरिंग कर रैफ की मदद से उत्पाती भीड़ को काबू किया।
बंद के समर्थन में सुबह से ही सड़क पर थे कांग्रेस-वाम नेता-कार्यकर्ता
जन विरोधी नीतियों व अपनी मांगों समेत राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी), नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में इस दिन आहूत बंद को सफल बनाने के लिए सुबह से ही बंद समर्थक कांग्रेस और वामपंथी नेता-कार्यकर्ता सड़क पर उतर गए थे। विभिन्न इलाकों में दुकान-बाजार बंद करवाते हुए बंद समर्थकों का काफिला कालियाचक सुजापुर पहुंचा और राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) 34 पर सुबह 10 बजे सड़क जाम कर दिया। करीब डेढ़ घंटे तक मुख्य सड़क जाम करने से वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई। कुछ देर बाद इसमें एनआरसी और सीएए का विरोध कर रहे लोग भी शामिल हो गए, जिससे बंद समर्थकों की संख्या और बढ़ गई।
इसके बाद 11.30 बजे अवरोध हटाने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस पहुंची। बंद समर्थकों को सड़क से हटाने की कोशिश की गई, तो वे पुलिस से ही भिड़ गए। पुलिस को लक्ष्य कर पत्थरबाजी करने लगे। पुलिस ने भी पलटवार करते हुए बंद समर्थकों पर आंसू गैस के गोले व लाठी चार्ज भीड़ खदेड़ने की कोशिश की। पर इसका उल्टा असर हुआ और भीड़ और उग्र हो गई। आस पास मौजूद वाहनों में तोड़फोड़ के अलावा पुलिस की दो गाड़ियों में आग लगा दी। पुलिस पर जमकर पत्थरबाजी की। इससे कुछ देर से लिए पूरा इलाका रणक्षेत्र में तब्दील हो गया। बाद में लोगों को डराने के लिए हवाई फायरिंग की गई। रैफ उतार कर स्थिति को काबू किया गया। इस आगजनी व तोड़फोड़ को लेकर तृणमूल के जिला अध्यक्ष मोअज्जम हुसैन ने वामपंथी व कांग्रेसी नेताओं की कड़ी आलोचना की और कहा कि इस तरह की हिंसा व बंद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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