लॉटरी को जीएसटी से बाहर रखने की याचिका हाईकोर्ट में खारिज
एक ओर जहां पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने की मांग हो रही है, वहीं दूसरी ओर लॉटरी को जीएसटी से बाहर रखने के लिए हाईकोर्ट में मुकदमा किया गया था।
जागरण संवाददाता, कोलकाता : एक ओर जहां पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने की मांग हो रही है, वहीं दूसरी ओर लॉटरी को जीएसटी से बाहर रखने के लिए हाईकोर्ट में मुकदमा किया गया था। उस याचिका को कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश देवाग्शु बसाक की एकल पीठ ने खारिज कर दिया है। दुर्गापूजा के बाद न्यायालय खुलने पर इसपर सुनवाई शुरू हुई। बताया गया है कि एमएस तीस्ता डिस्ट्रीब्यूटर्स ने लॉटरी को जीएसटी के दायरे से बाहर करने की माग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उक्त याचिका में दावा किया गया था कि लॉटरी कोई सामान व सेवा नहीं है। यह भाग्य का खेल है जो अनुमानित तौर पर खेला जाता है। इसलिए इसे जीएसटी के दायरे में रखने का कोई औचित्य नहीं है। मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने साफ किया कि 2017 में जीएसटी काउंसिल ने जिन वस्तुओं को इस सूची में डाला, उसमें लॉटरी को सिर्फइसलिए डाला गया क्योंकिराज्य सरकारों और निजी संस्थाओं द्वारा कानूनी व वैध तरीके से लॉटरी का व्यवसाय किया जाता है। न्यायाधीश ने साफ किया कि 2017 में जीएसटी काउंसिल ने जुआ और संट्टा को जीएसटी में शामिल इसलिए नहीं किया क्योंकिवह गैरकानूनी है और लॉटरी को इसलिए शामिल किया गया क्योंकि इसे कानूनी तरीके से खिलाया जाता है इसलिए इसपर लगे जीएसटी को नहीं हटाया जा सकेगा। कोर्ट ने कहा कि सरकारी तौर पर लॉटरी खेलने वालों को भुगतान के लिए राज्य सरकार को धनराशि खर्च करनी पड़ती है इसलिए इस पर 12 फीसद जीएसटी लगाया गया है जबकि गैर सरकारी तौर पर खेली जाने वाली लॉटरी पर जीएसटी 28फीसद है क्योंकि इसका पूरा लाभ गैर सरकारी संस्थानों को मिलता है।